जमशेदपुर
जमशेदपुर स्थित हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद लापता हुए दो सीट वाले विमान में सवार प्रशिक्षु पायलट और प्रशिक्षण देने वाले पायलट का शव बृहस्पतिवार को चांडिल डैम में पाया गया जबकि विमान की तलाश जारी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि एक निजी उड़ान प्रशिक्षण संस्थान ‘अलकेमिस्ट एविएशन’ का विमान ‘सेसना 152’ मंगलवार सुबह सोनारी हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद लापता हो गया था, जिसके बाद बांध के जलाशय सहित आस-पास के इलाकों में इसका पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर खोजबीन अभियान चलाया गया। अधिकारियों ने कहा कि आदित्यपुर निवासी प्रशिक्षु पायलट शुभ्रोदीप दत्ता का शव सुबह मिला, जबकि पटना निवासी पायलट कैप्टन जीत शत्रु आनंद का शव बाद में मिला। उन्होंने बताया कि विशाखापत्तनम से आई नौसेना की 19 सदस्यीय टीम लापता विमान की तलाश में लगातार जुटी है। अधिकारियों के अनुसार, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी), उड़ान प्रशिक्षण निदेशालय (डीएफटी) और उड़ान योग्यता निदेशालय (डीएडब्ल्यू) के साथ घटना की जांच शुरू कर दी है।
‘वीटी-टीएजे’ के रूप में पंजीकृत विमान का स्वामित्व और संचालन करने वाली ‘अल्केमिस्ट एविएशन’ ने एक बयान में कहा कि दुर्घटना के कारणों के बारे में टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा। इसने कहा, ‘‘विमान में 80 लीटर ईंधन था और यह साढ़े चार घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम था तथा उड़ान का समय एक घंटा निर्धारित था।’’बयान में कहा गया कि मंगलवार पूर्वाह्न करीब 11.10 बजे विमान का संपर्क जमशेदपुर हवाई नियंत्रण कक्ष (एटीसी) से टूट गया। ‘अल्केमिस्ट एविएशन’ ने कहा कि विमान डीजीसीए द्वारा जारी उड़ान योग्यता प्रमाण पत्र के साथ उड़ान योग्य स्थिति में था और इसमें मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) द्वारा निर्मित इंजन लगाया गया था।
बयान में कहा गया कि अमेरिकी कंपनी ‘लाइककिंग इंजन’ के इंजन से युक्त इस विमान का संचालन काल 30,000 घंटे का होता है, जिसमें से इसने केवल 16,000 घंटे पूरे किए थे। इसमें कहा गया कि बांध में एक जोड़ी जूते तैरते पाए गए जिसके बाद उन्हें बरामद करके पहचान की गई। कंपनी ने कहा, ‘‘इससे हमें यह आशंका हुई कि घटनास्थल बांध ही होगा। प्रारंभिक खोज टाटा स्टील के हेलीकॉप्टर और हमारे अपने विमान द्वारा की गई। इसके बाद मौसम खराब हो गया और खोजबीन अभियान जमीन पर वाहनों के जरिये चलाया गया तथा स्थानीय पुलिस को सूचित किया गया। इसके बाद स्थानीय सरकारी अधिकारियों को सूचित किया गया और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की मदद से बड़े पैमाने पर खोज और बचाव अभियान शुरू किया गया।’’ इसके बाद भारतीय नौसेना को मदद के लिए बुलाया गया और उसने एक सोनिक नेविगेशन एंड रेंजिंग (सोनार) उपकरण तैनात किया जो घटना की सटीक स्थिति को चिह्नित करने में सहायता करेगा।