डेस्क:
1 जुलाई को पूरे देश में डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य चिकित्सा क्षेत्र में डॉक्टरों के अमूल्य योगदान के प्रति सम्मान जाहिर करना है। वैसे तो पहले से हम डॉक्टरों को धरती के भगवान कहते हैं। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी डॉक्टर्स ने दिन-रात मरीजों की सेवा में डटे रहें। डॉक्टर्स ने इस महामारी के दौर में बखूबी खुद को साबित भी किया। उनके इस बलिदान और समर्पण को प्रधानमंत्री ने भी सलाम किया है और देशभर के डॉक्टरों को ट्वीट के माध्यम में शुभकामनाएं दी है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'जीवन बचाने और धरती को स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सभी परिश्रमी चिकित्सकों को डॉक्टर्स डे की बधाई।'
कब हुई डॉक्टर्स डे की शुरुआत?
भारत में पहली बार राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाने की शुरुआत साल 1991 से हुई थी। इस साल केंद्र सरकार ने पहली बार डॉक्टर डे मनाया था। इस दिन को मनाने की शुरुआत एक डॉक्टर की याद में हुई थी। उनका नाम डॉ बिधान चंद्र रॉय था। डॉ. रॉय का जन्म 1 जुलाई, 1882 को हुआ था। इसी तारीख को 1962 में 80 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था। उन्होंने भारतीय चिकित्सा परिषद और भारतीय चिकित्सा संघ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हीं के समर्पण और देशभर के डॉक्टर्स को सम्मानित करने के लिए 1 जुलाई 1991 को भारत में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पहली बार डॉक्टर्स डे मनाया था।
कौन थे डॉ बिधान चंद्र राय?
दरअसल डॉ बिधान चंद्र राय बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह एक चिकित्सक भी थे, जिनका चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान था। डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय ने जादवपुर टीबी मेडिकल संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह भारत के उपमहाद्वीप में पहले चिकित्सा सलाहकार के तौर पर प्रसिद्ध हुए। 4 फरवरी, 1961 को डॉ बिधान चंद्र रॉय को भारत रत्न के सम्मान से भी नवाजा गया। उन्होंने मानवता की सेवा में अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस को मनाने की शुरुआत की।
क्या है इस साल का थीम?
हर साल नेशनल डॉक्टर्स डे की अलग-अलग थीम होती है। साल 2022 के लिए, राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस की थीम 'फैमिली डॉक्टर्स ऑन द फ्रंट लाइन' है।