गुलजार को मैं कितना जानता हूं। क्या कभी मिला हूं उनसे। क्या मैं समझता हूं कि हिन्दी शायरी और फिल्मों में उनका रचनात्मक योगदान क्या है। अगर मैं कह दूं समझता हूं तो यह मुकम्मल झूठ होगा। अगर कहूं न तो यह भी झूठ होगा। दरअसल, मैं गुलजार को थोड़ा समझता हूं और अ
आज अगर पत्रकारिता के किसी स्टूडेंट से पूछ दिया जाये कि क्या आप स्वामीनाथन सदानंद को जानते हैं तो इसकी संभावना बहुत कम है कि वो कहें कि हां मैं उनको जानता हूं। और जब पत्रकारिता को 13 साल तक अपना जीवन देने के बाद मुझसे पूछा जाये कि एक पत्रकार के रुप में मैं
कृष्ण याद रखना नहीं भूल जाना सिखाते हैं। गोकुल को.. फिर मथुरा को.. और अंत में द्वारिका को भी कि ये सब मात्र पड़ाव हैं आश्रय नहीं। कहते रहिए उन्हें निर्मोही
महान शख्सियतों के जीवन में विडंबनाओं के एकाधिक पल अनिवार्य रुप से रहते हैं। मधुशाला के रचनाकार डॉ हरिवंश राय बच्चन के जीवन में भी थे। उनके जीवन में इसलिए थे क्योंकि वे कुछ बड़ा कर रहे थे, कुछ बड़ा रचनेवाले थे।
उलूलु ध्वनि के प्रति मेरी एक स्वाभाविक उत्सुकता रही है। बंग समुदाय की महिलाएं विवाह के अवसरों पर उलूलु ध्वनि का उच्चारण करती हैं और इसे कई बार करीब से देखने का मुझे अवसर मिला है।
आज श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। आज का दिन बेहद ही शुभ माना जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 2024 वर्ष में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
खूंटी के तोरपा प्रखंड अंतर्गत मरचा गांव में परिवार के साथ रहते हैं। इन्होंने ही दुनिया का सबसे महंगा मियाजाकी आम, अपने बाग में उगाया है। फसल अच्छी हुई है। अच्छी कीमत मिलने की भी उम्मीद है।
350 प्लस लोकसभा सीटें हासिल करने का लक्ष्य रख चुनाव कैंपेन में उतरी बीजेपी आखिरकार कैसे 245 पर सिमटती दिखी।
बीते 66 साल में न्यूक्लियर पॉवर बनने की दिशा में भारत काफी आगे बढ़ा लेकिन बड़ा सवाल है कि जादूगोड़ा और उसके लोगों को क्या मिला...सारे सवालों के जवाब आगे रिपोर्ट में है। देखते जाइये।
हम उलिहातू गांव पहुंचे तो मुहाने पर ही वह घर दिखा जहां धरती आबा ने जन्म लिया था। कभी मिट्टी के रहे उस मकान को पक्का कर दिया गया है। सामने ही भगवान बिरसा मुंडा का स्मारक बना है। उनके नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनाई गई है।
झारखंड में मुस्लिम आबादी 15 फीसद है। फिर भी मुस्लिम नेताओं का लोकसभा या विधानसभा में वैसा प्रतिनिधित्व कभी नहीं रहा जो आबादी के ऐतबार से अपेक्षित है।
संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है। उन्हें संविधान निर्माता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान के निर्माण में उनका अमूल्य योगदान रहा।