द फॉलोअप डेस्क
बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने सभी जिला पदाधिकारियों को एक अहम पत्र जारी करते हुए आदेश दिया है कि अब राज्य के सभी विकासात्मक कार्य बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BSEIDC) के माध्यम से ही कराए जाएंगे। पहले केवल 50 लाख रुपये से अधिक के कार्य ही इस निगम के माध्यम से होते थे, लेकिन अब नए आदेश के बाद कोई भी अन्य एजेंसी यह कार्य नहीं कर पाएगी।
इस पत्र के जरिए एस सिद्धार्थ ने कहा है कि जिला शिक्षा पदाधिकारियों की पावर में भी कटौती की गई है और अब उन्हें विकास कार्य के लिए कोई राशि नहीं दी जाएगी। यह फैसला विकास कार्यों की गुणवत्ता और समेकित क्रियान्वयन की समस्या को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अपर मुख्य सचिव ने पत्र में उल्लेख किया कि विकास कार्यों के निरीक्षण और समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि शिक्षा विभाग के विभिन्न विकास कार्यों का क्रियान्वयन कई एजेंसियों जैसे बिहार राज्य शिक्षा परियोजना, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग, जिला परिषद, भवन निर्माण विभाग, जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रधानाध्यापक आदि द्वारा किया जा रहा था। इससे एक ही विद्यालय में कई एजेंसियों के काम करने के कारण योजनाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा था और अनुश्रवण में भी कठिनाई हो रही थी।
एस सिद्धार्थ ने आगे बताया कि वर्तमान में बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड केवल 50 लाख रुपये से अधिक के कार्यों के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार था, जबकि इस निगम का गठन शिक्षा विभाग के सभी प्रकार के विकास कार्यों को करवाने के लिए किया गया था। अब इस निगम को सुदृढ़ करके सभी असैनिक कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
आगे की योजना:
• 31 मार्च 2025 के बाद, शिक्षा विभाग के सभी विकास कार्य केवल बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से ही कराए जाएंगे।
• वर्तमान व्यवस्था के तहत, विद्यालयों के प्रधानाध्यापक मरम्मत के कार्य अपने स्तर पर कर सकेंगे, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 50,000 रुपये होगी।
• 31 मार्च 2025 के बाद, किसी भी निर्माण कार्य के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी को राशि नहीं दी जाएगी।
यह कदम शिक्षा विभाग के विकास कार्यों को अधिक प्रभावी और समेकित रूप से संचालित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।