द फॉलोअप डेस्क
झारखंड में डीजीपी नियुक्ति को लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। उन्होंने राज्य सरकार की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह सचिव वंदना दादेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता समेत नॉमिनेशन कमेटी के चेयरमैन जस्टिस रत्नाकर भेंगरा और पूर्व डीजीपी नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी का आरोप
बाबूलाल मरांडी ने अपनी याचिका में कहा कि झारखंड सरकार ने डीजीपी नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के 22 सितंबर 2006, 3 जुलाई 2018 और 13 मार्च 2019 के आदेशों का उल्लंघन किया है। उन्होंने अनुराग गुप्ता की 2 फरवरी 2025 को हुई नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना बताया है।
अजय कुमार की नियुक्ति और फिर हटाने का मामला
बाबूलाल मरांडी ने बताया कि 14 फरवरी 2023 को यूपीएससी के पैनल से अजय कुमार सिंह को डीजीपी नियुक्त किया गया था, लेकिन 27 जुलाई 2014 को बिना सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन किए उन्हें हटा दिया गया। इसके बाद अनुराग गुप्ता को अंतरिम डीजीपी बना दिया गया, जबकि अजय कुमार के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई भी नहीं की गयी।
झारखंड सरकार की नयी नियमावली पर अपत्ति
झारखंड सरकार ने डीजीपी नियुक्ति के लिए एक नयी नियमावली बनायी, जिसके तहत नॉमिनेशन कमेटी गठित की गयी। इसमें मुख्य सचिव, गृह सचिव, हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज और पूर्व डीजीपी शामिल थे। इसी समिति ने अनुराग गुप्ता का नाम तय किया, जिसके आधार पर सरकार ने उनकी नियुक्ति कर दी। बाबूलाल मरांडी ने इसे भी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करार दिया है।