कोरोना काल में लगातार बंदी के बाद सभी चीजों से लगभग पाबंदियां खत्म हो गयी हैं। जीवन अपनी पटरी पर दौड़ने लगा है। इधर, पर्व-त्योहारों के दिन भी शुरू हो गए हैं। अभी महाशिवरात्रि खत्म हुई है।
कोरोना काल में कई बच्चे अनाथ हो गए। कई परिवार वैसे हैं जहां माता-पिता दोनों की मौत हो गई और बच्चे दुनिया में अकेले रह गए। कहीं-कहीं तो परिवार के बाकी सदस्य हैं लेकिन किसी-किसी जगह कोई भी नहीं बचा जो उन बच्चों का सहारा बन सके। वो रोयें तो उनको चुप करा सके।
कोरोना कालखंड में बड़ी संख्या में राज्य के प्रवासी श्रमिक देश के अलग-अलग राज्यों में फंस गए थे। उन श्रमिकों के समक्ष कई तरह की समस्याएं थी और उन्हें मदद की जरूरत थी। प्रवासी श्रमिकों की दयनीय स्थिति के बारे में पता चलने के बाद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के
रांची में कोई भूखा नहीं रहेगा! जरूरतमंदों तक भोजन पहुंचा रहे अनिकेत और प्रिया
कोरोना काल में NSUI की मुहिम. महामारी से जूझते लोगों तक पहुंचा रहे जरूरत का सामान