द फॉलोअप टीम, रांची:
फिल्म सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होती, ना ये सिर्फ रुलाई है और ना ही फिल्म सिर्फ लोगों को हंसाने के लिए बनाई जाती है। झारखंड के लोगों को इस बात की जानकारी अपने फिल्मों के माध्यम से देने वाले बीजू टोप्पो पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे हैं। तुपुदाना स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल और रिम्स में इलाज के बाद जब बीजू की हालत में सुधार नहीं देखा गया तो आखिरकार उन्हें वेल्लोर भेज दिया गया है।
रांची में रहकर विदेशों में भी सुर्खियां बटोरी
राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित बीजू टोप्पो मानव विज्ञान और राष्ट्रीय फिल्म मेकिंग के क्षेत्र में एक मशहूर नाम है। आदिवासियों के मुद्दों से जुड़ी फिल्म निर्माण में इनकी अलग पहचान है। अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के माध्यम से मुद्दों की बात करने वाले डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर बीजू टोप्पो ने कई ऐसे दर्द को उभारा जिसे देखने के बाद लोगों की सोच बदल गई। छोटे से शहर रांची में रहकर उन्हे विदेशों में भी सुर्खियां बटोरी। बीजू टोप्पो का नाम कई उल्लेखनीय फिल्मों में कोरियोग्राफी, फिल्म मेकिंग और दूसरे गतिविधियों से जुड़ा है। उन्होंने नाची से बंची, लोहा गरम है, शिकार, गाड़ी लोहरदगा मेल, झरिया, कोरा राजी जैसी फिल्मों के जरिए विश्व पटल पर अपना नाम कमाया है। 59वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
टीबी और किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं बीजू
वे लगातार 15 दिनों तक राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज करा रहे थे। बीजू के सहयोगी रूपेश साहू ने जानकारी देते हुए कहा कि उनका प्रारंभिक इलाज पिछले दिनों तुपुदाना स्थित रामकृष्ण मिशन अस्पताल में चल रहा था। लेकिन अचानक हालत गंभीर होने से रिम्स के नेफ्रो विभाग में उन्हें भर्ती करवाया गया था। यहां भी लगातार उनकी सेहत बिगड़ रही थी। इसे देखते हुए उन्हें बेहतर इलाज के लिए वेल्लोर भेजा गया है। उनके समर्थक इस खबर को सुनने के बाद उनके जल्दी ठीक होने की दुआएं मांग रहे हैं।