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HEC को मिला है 2 हजार करोड़ रुपये का काम, इस संकट की वजह से नहीं हो पा रहा है पूरा

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द फॉलोअप टीम, रांची: 


कोरोना काल में बहुत सारी कंपनिया आर्थिक संकट का सामना कर रही है। इनमें एचईसी का नाम भी उल्लेखनीय है। मिली जानकारी के मुताबिक एचईसी के पास 2 हजार करोड़ रुपये का कार्यादेश है, बावजूद इसकी अंदरूनी हालत ठीक नहीं है। उत्पादन की गति 50 फीसदी पर सिमट कर रह गई है। हालात यहां तक खराब है कि फरवरी माह से ही कर्मियों को वेतन नहीं मिल पाया है। कामगारों का मनोबल अब टूटने लगा है। कोयला सहित कच्चे माल की कमी है। कामगारों को 4 बजे तक काम करना होता है। जल्दी काम बंद होना का भी प्रभाव पड़ रहा है। 

कार्यादेश पर पड़ा है नकारात्मक प्रभाव
मिली जानकारी के मुताबिक एचईसी की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से कार्यादेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। पूंजी के अभाव में रक्षा, इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन सहित खनन क्षेत्र के कई सेक्टर का काम प्रभावित हो रहा है क्योंकि उपकरणों का निर्माण मांग के मुताबिक नहीं हो पा रहा है। कहा जा रहा है कि पिछले साल भी कुल मांग का केवल 50 फीसदी ही लक्ष्य पूरा किया जा सका था। जानकारी के मुताबिक एचईसी महज 200 करोड़ रुपये का ऑर्डर ही पूरा कर पाया था। तब एचईसी ने भारी उद्योग मंत्रालय से आर्थिक सहायता भी मांगी थी लेकिन मंत्रालय ने एचईसी के आग्रह को अस्वीकार कर दिया था। गौरतलब है कि एचईसी के महत्वूर्ण मशीनों का आधुनिकीकरण किया जाना था लेकिन आर्थिक संकट की वजह से ये काम भी बाधित है। 

एचईसी के पास कार्यशील पूंजी का अभाव
एचईसी के समक्ष ना केवल आर्थिक संकट है बल्कि कार्यशील पूंजी का भी अभाव है। कहा जा रहा है कि एचईसी के पास कई बढ़िया ऑर्डर्स हैं लेकिन उसका काम नहीं हो पा रहा है। इस वक्त एचईसी का नेतृत्व कार्यकारी सीएमडी के पास है। विडंबना है कि वो महज 4 बार एचईसी के दौर पर आए हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने एचईसी से ऋण की रिपोर्ट मांग ली है। सरकार जानना चाहती है कि एचईसी का कहां और किन क्षेत्रों में देनदारी है। सरकार ये भी जानना चाहती है कि कर्मचारियोंकी संख्या क्या है। उनका कार्यकाल कितना है। पीएफ औऱ बिजली बिल आदि की कितनी देनदारी बाकी है। कहा जाता है कि ये सारी जानकारियां पूर्व में ही उपलब्ध करा दिया गया है।

एचईसी को मिला है इतने करोड़ का काम
एचईसी को मिले कार्यादेशों की बात करें तो इसरो और नौसेना की तरफ से कंपनी को 250 करोड़ रुपये का कार्यादेश मिला है। रक्षा मंत्री ने 350 करोड़ रुपये का कार्यादेश दिया है। सेंट्रल कोल फील्ड्स से 527 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मिला है जिसमें मगध ओसीपी कोल हैंडलिंग प्लांट का काम होना है। साउथ इस्टर्न कोल फील्ड की तरफ से 615 करोड़ रुपये का कार्यादेश दिया गया है। नॉर्दन कोल फील्ड से 197.45 करोड़ रुपये का का काम मिला है।