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सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को दिया दो दिनों का वक्त, कहा-अपने बयान पर करें पुनर्विचार, प्रशांत ने कहा कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली
देश के जाने माने वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दो दिनों का वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन दो दिनों में वो अपने बयान पर पुनर्विचार कर सकते हैं। हालांकि प्रशांत भूषण ने कहा है कि मैं इस पर पुनर्विचार कर सकता हूं, लेकिन मेरे बयान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान ही होगा। आपको बता दें कि अवमानना मामले में आज सुप्रीम कोर्ट की ओर से सजा का एलान होनेवाला था।

सजा पर टली सुनवाई
इससे पहले जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई तो माना गया कि आज सजा का एलान कर दिया जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई टाल दी।कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा और इसके लिए उन्हें दो दिन का समय भी दिया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण से अपने बयान पर पुनर्विचार के लिए कहा तो भूषण ने कहा कि मैं इस पर पुनर्विचार कर सकता हूं, लेकिन कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। मैं अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहता। मैं अपने वकीलों से सलाह लूंगा और फिर सोचूंगा। अटॉर्नी जनरल ने भी माना कि प्रशांत भूषण को उनके स्टेटमेंट पर फिर से सोचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने अदालत में बहुत काम किया है।

प्रशांत ने वकील ने सजा टालने का किया अनुरोध
शुरुआत में प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने मामले में सजा तय करने पर दलीलों की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह दोषी करार दिये जाने के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। कोर्ट ने कहा कि प्रशांत भूषण से कहा कि हमसे अनुचित काम करने को कह रहे हैं कि सजा पर दलीलें किसी अन्य पीठ को सुननी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सजा तय करने पर अन्य पीठ द्वारा सुनवाई की भूषण की मांग को अस्वीकार कर दिया।  प्रशांत भूषण की तरफ से दुष्यत दवे ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के लिए उनके पास 30 दिनों का समय है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कोर्ट का फैसला तब पूरा होगा जब कोर्ट सजा सुना देगा। दवे ने कहा कि क्यूरेटिव पिटीशन का उपाय भी उपलब्ध है। इसके जवाब में जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि दोष सिद्धि की सुनवाई सजा के रूप में होती है।

हम हर सजा भुगतने के लिए तैयार-प्रशांत
इससे पहले कोर्ट की अवमानना के मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं। भूषण ने कहा मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे। ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता। मैं किसी भी सजा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी। उन्होंने कहा कि माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान होगा।

सही या गलत दोषी पाए गए हैं प्रशांत- कोर्ट
वहीं जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता किसी के लिए भी, मेरे लिए हो या फिर मीडिया के लिए संपूर्ण नहीं है। हमें सभी को यह बताना होगा कि यह रेखा है। एक एक्टिविस्ट होने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमें यह कहना होगा कि यह लाइन है। सही या गलत हमने अब उन्हें दोषी पाया है। 

प्रशांत ने किए थे 2 ट्विट्स
आपको बता दें कि प्रशांत भूषण को न्यायपालिका और CJI के खिलाफ अपने दो ट्वीट्स के लिए अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था। भूषण ने अपनी याचिका में कहा कि वह अदालत की अवमानना का दोषी मानते हुए अपने फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का इरादा रखते हैं, भूषण के मुताबिक शीर्ष अदालत सुनवाई को तब तक के लिए टाल दे, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं दे देता। प्रशांत भूषण के दो ट्विट के आधार पर अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया गया था। 

प्रशांत के समर्थन में रांची में प्रदर्शन
इन सबसे बीच प्रशांत भूषण के समर्थन में रांची के कई संगठन ने मूसलाधार बारिश के बीच सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया। सड़क पर उतरे संगठन के लोगों के हाथों में तख्ती थी, जिसमें लिखा था कि आलोचना अवमानना नहीं है। अदालती अवमानना के बहाने आलोचना और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला नहीं सहेंगे। सड़क पर उतरे संगठनों में सामाजिक मानवाधिकार एक्टिविस्ट और सज़ग नागरिक थे। इन संगठनों की ओर से अहले सुबह से ही मुसलाधार बारिश के बीच अपील भरी तख़्तियों के साथ शहीद स्मारक, ज़िला स्कूल के प्रांगण, मेन रोड में प्रदर्शन किया गया। मौन अपील प्रदर्शन में नदीम खान, अलोका कुजूर, प्रफुल्ल लिंडा, भुनेश्वर केवट, सचिदानंद मिश्रा, सुशांतो मुख़र्जी, तमन्ना बेग़म, मो ज़ियाउल्लाह, वीणा लिंडा,रेणु प्रकाश, मोज़ाहिदुल इस्लाम,जयंत पांडेय,मधुवा कच्छप, वीरेंद्र कुमार,अब्दुल मन्नान इस्लाही,विजय कुमार,हनज़ला अफ़रीदी,अब्दुल सलाम,मो इरशाद,आदि लोग शामिल रहे।