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खून की कमी से नहीं होगी किसी की मौत! झारखंड में खुलेंगे 125 नए ब्लड बैंक

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द फॉलोअप टीम, रांची:


झारखंड में अब वैसे मरीजों की जान अपेक्षाकृत आसानी से बचाई जा सकेगी जिनकी मौत खून की कमी की वजह से हो जाती थी। खबर मिली है कि झारखंड के अलग-अलग जिलों में 125 ब्लैक बैंक खोले जाएंगे। अदिकारियों का कहना है कि इसका फायदा ये होगा कि खून की कमी से होने वाली मौतों को रोका जा सकेगा। मिली जानकारी के मुताबिक झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी राज्य भर के सामाजिक संस्थाओं सहित वैसे सोशल इंटरप्रन्योर जो अपना स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं उनको ब्लड बैंक खोलने का मौका दे रहा है। इसके लिए इच्छुक लोगों को जेसैक्स के माध्यम से आवेदन करना होगा। 

प्रदेश में प्रति वर्ष डेढ़ लाख यूनिट की कमी
झारखंड में मौजूदा वक्त में डेढ़ लाख यूनिट खून की कमी होती है। वर्तमान में राज्य भर में खून की भारी कमी की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है। दस में से सात महिलाएं ऐनिमिया से ग्रसित होती हैं। उनको खून की जरूरत होती है। हर साल साढ़े तीन लाख यूनिट ब्लड की आवश्यक्ता पड़ती है। इसके मुकाबले केवल 2 लाख यूनिट ब्ल़ड का ही कलेक्शन किया जा रहा है। डेढ़ लाख यूनिट खून की किल्लत प्रतिवर्ष होती है। नए ब्लड बैंक की स्थापना हो जाने से लोगों को खून की कमी का  सामना नहीं करना पड़ेगा। 

ब्लड बैंक की स्थापना के बाद होगा फायदा
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक अभी खून की कमी की वजह से लोगों को ब्ल़ड बैंक से ब्लड लेने के लिए किसी व्यक्ति को पहले ब्लड डोनेट करना पड़ता है। इसके बाद ही उसको ब्लड मिल पाता है। जब ब्लड बैंक की संख्या बढ़ जाएगी तो लोगों में बकॉम्पीटीशन बढ़ जाएगी। इससे ब्लड का कलेक्शन भी बढ़ जाएगा। ब्लड बैंक की संख्या अधिक होने के बाद लोगों को ब्लड एक्सचेंज करने की जरूरत नहीं होगी। आसानी से ब्लड मिल सकेगा। 

जुलाई में 30 हजार यूनिट ब्लड कलेक्शन का लक्ष्य
आंकड़ों को देखें तो स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक इस साल अप्रैल और मई माह में कुल 15 हजार 359 यूनिट ब्लड कलेक्ट किया गया। जून माह में 21 हजार 188 यूनिट ब्लड कलेक्ट किया गया। झारखंड एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा जुलाई महीने में 30 हजार यूनिट ब्ल़ड कलेक्ट करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके लिए सीआरपीएफ, बीएसएफ, नेहरू युवा केंद्र, एनसीसीए कॉलेज के छात्रों, चेंबर ऑफ कॉमर्स, रेडक्रॉस सोसाइटी, रोटरी क्लब और अलग-अलग सरकारी संस्थानों एवं स्वयंसेवी संस्थानों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।