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बिना नेता प्रतिपक्ष का होगा झारखंड विधानसभा का दूसरा बजट सत्र, क्या चाहती है हेमंत सोरेन सरकार

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द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार के एक वर्ष 29 दिसंबर को ही पूरे हो गए। इस दौरान विधानसभा के कुल चार सत्र आयोजित किए गए हैं। विधानसभा की कुल 19 दिन कार्यवाहियां चली है। जिसमें बजट सत्र के अलावा, सरना आदिवासी धर्मकोड जैसे महत्वपूर्ण बिल भी पास किए गए हैं। लेकिन अबतक नेता प्रतिपक्ष के रूप में किसी को आधिकारिक स्वीकृति नहीं मिली है। 



थोड़ा पीछे चलकर समझिये मामला
मामले को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद 81 विधानसभा सीटों में बीजेपी 37, जेएमएम 19, जेवीएम 8, कांग्रेस 6, आजसू 5, बीएसपी 1, माले 1, झारखंड पार्टी 1, जय भारत समानता पार्टी 1, नवजवान संघर्ष मोर्चा 1, मार्क्सिस्ट को-ऑर्डिनेशन को 1 सीट मिली थी।  बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत थी। बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों ने एक साथ बीजेपी का दामन थाम लिया।  यहां से चला दल–-बदल कानून के तहत मामला।  तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव को लेकर कोर्ट में मामला चलता रहा। चार साल के बाद दल-बदल को मंजूरी दी गई।  बीते विधानसभा चुनाव के बाद बदली राजनीतिक परिस्थिति में बाबूलाल मरांडी ने पहले अपने दो विधायकों को पार्टी से निकाला फिर झारखंड विकास मोर्चा को भंग किया। खुद बीजेपी में शामिल हो गए।  कहा, बीजेपी अगर पार्टी कार्यालय में झाड़ू लगाने को भी कहेगी, तो वह करेंगे।  इसके बाद उनके दो विधायक प्रदीप यादव और बंधू तिर्की ने कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया।  ऐसे में मामला एक बार फिर दल-बदल कानून के तहत आ गया और फिर से विधानसभा अध्यक्ष को तय करना है कि इस कानून के तहत बाबूलाल की विधायकी जाएगी या फिर उनके दो विधायकों की। या फिर दोनों को ही मंजूरी मिल जाएगी।पिछली बार जहां अंपायर बीजेपी के थे, तो अबकी जेएमएम के हैं। 

सितंबर महीने में स्पीकर ने लिया स्वतः संज्ञान   
सितंबर महीने में स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने मामले का स्वत: संज्ञान लेकर विधायक बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को नोटिस भेजकर यह जवाब मांगा कि उनका मामला 10वीं अनुसूची यानी दल-बदल कानून के तहत आता है। जवाब मांगने के बाद 23 नवंबर को पहली सुनवाई की तारीख तय की गई।  पहली तारीख में बाबूलाल मरांडी के वकील ने उनका प्रतिनिधित्व किया।  वहीं प्रदीप यादव के वकील और बंधु तिर्की स्वयं अपना पक्ष रखने स्पीकर के न्यायाधिकरण में हाजिर हुए थे।  बाबूलाल मरांडी की ओर से उनके वकील ने यह दलील देकर सुनवाई को स्थगित रखने का आग्रह किया था कि उनके मुवक्किल ने स्पीकर के नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में मामला दायर किया है।  हाईकोर्ट का फैसला क्या आता है, उसके बाद ही सुनवाई शुरू हो लेकिन स्पीकर ने बाबूलाल मरांडी के वकील की इस दलील को नकारते हुए सुनवाई की अगली तारीख मुकर्रर कर दी थी। उसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि स्पीकर स्वतः संज्ञान नहीं ले सकते हैं। इस फैसले के खिलाफ विधानसभा सुप्रीम कोर्ट चली है। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। लेकिन उसके बाद बाबूलाल मरांडी के खिलाफ पूर्व विधायक राजकुमार यादव, दीपिका पांडेय, प्रदीप यादव और बंधू तिर्की ने स्पीकर कोर्ट में दसवीं अनुसूची की उलंघन का शिकायत दर्ज कराया। फ़िलहाल मामला स्पीकर कोर्ट में चल रहा है। वहीँ बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष बिनोद शर्मा पार्टी के प्रवक्ता सरोज सिंह ने बंधू तिर्की और प्रदीप यादव के खिलाफ स्पीकर कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई की वे दोनों कांग्रेस की सदस्यता ले चुके हैं जो दलबदल मामले के अंतर्गत आता है लिहाजा उनकी सदस्यता रद्द की जाये। सरोज सिंह और बिनोद शर्मा के आवेदन पर 18 फ़रवरी 2021 को विधानसभा ने प्रदीप यादव और बंधू तिर्की के खिलाफ पत्र जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है।



सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं स्पीकर: बाबूलाल
बाबूलाल बीजेपी विधायक के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि स्पीकर सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग सबसे बड़ी संस्था है जो पार्टी के विलय और विधायक किस दल से संबंध रखते हैं उसकी जानकारी देता है। पिछले राज्यसभा चुनाव में मैंने बतौर बीजेपी विधायक वोट किया है तो ये साफ़ हो जाता है कि मैं बीजेपी का विधायक हूँ। नेता प्रतिपक्ष का सवाल सदन में उठेगा तो देंगे जवाब -  हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जब बुधवार को मीडिया ने पूछा कि नेता प्रतिपक्ष की आधिकारिक घोषणा अबतक नहीं हुई है। यह सवाल सदन में भी उठेगा। इस सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि वह सदन में हर सवाल का जवाब देंगे।