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झारखंड में रोज संक्रमित हो सकते हैं 2 हजार बच्चे! इलाज के लिए कितनी तैयार है सरकार

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द फॉलोअप टीम, रांची: 
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करने वाली है। महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में संक्रमित होने वाली कुल आबादी का पचास फीसदी आबादी बच्चों की होगी। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के विजय राघवन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक होगी। 

कैसे होगा कोरोना संक्रमित बच्चों का इलाज
अब जबकि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को बच्चों के लिए ज्यादा घातक होने का अनुमान लगाया जा रहा है तो ये समझना जरूरी है कि झारखंड में बच्चों इलाज के लिए क्या सुविधा है। कितने अस्पताल हैं जहां बच्चों के लिए अलग से सुविधा है। कितने डॉक्टर्स उपलब्ध हैं। आधारभूत संरचना और उपकरणों का क्या हाल है। क्या राज्य के सरकारी अस्पताल इसका दवाब झेल पायेंगे। 

पचास फीसदी आबादी संक्रमित बच्चों की होगी
कोरोना विशेषज्ञों की मानें तो राज्य में जितनी आबादी संक्रमित होगी उसका पचास फीसदी बच्चे होंगे। इनकी उम्र 0 से 14 साल के बीच होगी। इस समय राज्य में रोजाना औसतन 4 हजार लोग संक्रमित हो सकेंगे। यदि तीसरी लहर में यही आंकड़ा रहा तो इनमें से पचास फीसदी यानी तकरीबन 2 हजार बच्चे संक्रमित होंगे। इनमें से 10 फीसदी बच्चों यानी कि रोजाना 200 बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ेगी। क्या झारखंड का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इसका दवाब झेल पायेगा। 

राज्य में बच्चों के लिए केवल 436 बेड उपलब्ध हैं
झारखंड के सभी जिलों में मौजूद सरकारी अस्पतालों को मिलाकर बच्चों के लिए समर्पित केवल 436 बेड ही उपलब्ध हैं। जरूरत 1 हजार 500 बेड की है। यानी कि अभी 1 हजार 64 चाइल्ड स्पेशल बेड की जरूरत होगी। राज्य में 104 चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। राज्य में बच्चों की कुल आबादी 97 लाख है। 104 स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के हिसाब से एक डॉक्टर पर 94 बच्चों की जिम्मेदारी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि प्रत्येक 1 हजार बच्चों पर 1 डॉक्टर होना चाहिए। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि चाइल्ड हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत क्या है। मौजूदा हालात में अभी राज्य को 180 स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की जरूरत है। सरकारी प्रयास का इंतजार है। 

बच्चों में अलग होता है कोरोना संक्रमण का लक्षण
महामारी विशेषज्ञों और चाइल्ड हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों में कोरोना का लक्षण अलग होता है। बच्चों में सुस्ती, खाने के प्रति अरूचि, शरीर में चकते, ओठ, जीभ और आंख में लालपन, डायरिया, लो ब्लड प्रेशर जैसे लक्षण दिखते हैं। जाहिर है कि बच्चों के लिए अलग से इंतजाम करना होगा। आंकड़े बताते हैं कि राज्य के 24 जिलों के किसी भी सदर अस्पताल में पीडियाट्रिक आईसीयू नहीं है। 18 जिलों के सदर अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से सामान्य वार्ड नहीं है।