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जान चली जाने के बाद ही क्‍यों पहुंचती है झारखंड में NDRF की टीम!

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

झारखंड में भी NDRF की टीम इसलिए है कि डूबने से किसी की जान बचाई जा सके। लेकिन इधर रांची और आसपास की कई घटनाएं बताती हैं कि यह टीम हर मामले में दो दिन बाद ही पहुंची है। पेरवाघाघ में कुछ दिनों पहले एक युवा एक्‍टीविस्‍ट गरिमा टोपनो डूब गई थीं। वहां भी टीम सिर्फ शव ही निकालने पहुंची। रांची के पंडरा में एक बुजुर्ग भी इस बरसात में नाले में तब्‍दील हुए एकनदी मेंं बह गए। घटना बुधवार रात की है। रात भर उनके बच्‍चेऔर स्‍थानीय नागरिक अपने स्‍तर से उन्‍हें ढूंढते रहे, लेकिन उनका पता न चला। यहां भी NDRF की टीम दूसरे दिन पहुंची। हालांकि बहे बुजुर्ग अजय अग्रवाल के परिजन उनकी तलाशी के लिए पुलिस वालों से एनडीआरफ की टीम बुलाने को कहते रहे. पर मौके पर मौजूद प्रशासन परिजनों एवं स्थानीय लोगों को यह उम्मीद देती रही की एनडीआरएफ की टीम जल्द ही अजय की तलाशी के लिए पहुंच रही है।

ड्रोन की सहायता से आख़िरकार मिली अजय की लाश
बहरहाल, उम्मीद में पूरी रात गुज़र जाने के बाद भी अजय के परिजनों को कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिल पाई। दूसरे दिन भी एनडीआरएफ की टीम जगहों-जगह पर पूरे दिन खोजबीन करती रही पर कोई सफलता हाथ नहीं मिली। इतने मशक्कत के बाद भी जब अजय नहीं मिले तो स्थानीय लोगों ने ड्रोन की सहायता से संभावित जगहों पर छानबीन शुरू की। चार घंटे की कड़ी मेहनत के बाद आखिकार अजय की लाश उस जगह मिली जहाँ तक पहुंच पाना शायद स्थानीय लोगों के पहुंच से बाहर थी, प्रशासन की मदद से आख़िरकार लाश को बाहर निकला गया।

 

नालियों में बह जाने की यह घटना कोई नई नहीं
अजय प्रसाद अग्रवाल का नाली में बह जाना कोई नई घटना नहीं है, इससे पहले भी हिंदपीढ़ी में रहने वाली महज 4 साल की फलक भी नाला रोड के नाला में बह गई थी। जिसके बाद भी खूब हो-हंगामा मचा। इस घटना के बाद कई जगहों पर नगर निगम के द्वारा नालियों पर स्लाब भी बनवाने का काम शुरू हुआ पर वक्त के साथ फिर सब काम अधूरा ही रह गया।