द फॉलोअप टीम, रांचीः
आज झारखंड हाईकोर्ट मे शराब नीति मामले पर सुनवाई की गई। कोर्ट मे फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई चीफ जस्टिस रवि रंजन और एस एन प्रसाद के कोर्ट में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलील सुनी इसके बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया गया।
सरकार के फैसले को चुनौती
सुनवाई के दौरान लिकर एसोसिएशन की ओर बताया कि राज्य के नयी नीति में सभी नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसलिए नयी नियमावली को निरस्त किया जाए। सरकार की ओर लागू संशोधित शराब नीति को हाईकोर्ट मे चुनौती दी गई है।
नियमावली निरस्त हो
पहले हुई सुनवाई में महाधिवक्ता राजीव रंजन की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गयी थी कि थोक शराब की बिक्री के टेंडर से पहले गजट में प्रकाशन की कोई बाध्यता नहीं है। जो भी प्रक्रिया अपनायी गयी है वह पूरी तरह से नियम के अनुसार है। झारखंड रिटेल लिकर वेंडर एसोसिएशन की ओर से हाईकोर्ट में कहा था कि झारखंड उत्पाद अधिनियम-1915 की धारा 20-22 और 38 के अनुसार लाइसेंस निर्गत करने के लिए सक्षम पदाधिकारी कलेक्टर होते हैं। नई नियमावली में उक्त अधिकार उत्पाद आयुक्त को दे दिया गया है।
अधिनियम की धारा-90 के अनुसार लाइसेंस निर्गत करने के लिए शर्तों का निर्धारण अथवा नियम बनाने का अधिकार राजस्व पर्षद को दिया गया है, लेकिन सरकार ने ही सभी नियम बना दिए हैं। इसलिए उक्त नियमावली असंवैधानिक है जिसे निरस्त किया जाना चाहिए।