द फॉलोअप टीम, रांची:
सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह के 354 वें प्रकाश पर्व को लेकर रोज ही कई दिनों से रांची के सभी गुरुक्षरे में शबद गायन और अरदास हो रहे हैं। प्रभातफेरी निकालीजा रही हैं। इधर, झारखण्ड में CM हेमंत सोरेन ने भी उन्हें नमन किया और उनके बलिदान को याद किया। ट्वीट करके कहा कि शांति, प्रेम, त्याग, साहस और बलिदान के प्रतीक सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर शत-शत नमन करते हैं।
सिक्खों के 10वें गुरु गुरु गोविन्द सिंह का 354 वां प्रकाश पर्व
ज्ञान, सैन्य क्षमता के लिए ख्या त गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे। पटना साहिब में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवंबर सन 1675 को वे गुरु बने। उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दिया था. गुरु गोबिंद सिंह ने ही सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु प्रथा को समाप्त किया और गुरु ग्रंथ साहिब को सर्वोच्च बताया जिसके बाद से ही ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा की जाने लगी। साथ ही गोबिंद सिंह जी ने खालसा वाणी - "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" भी दी। खालसा पंथ की की रक्षा के लिए गुरु गोबिंग सिंह जी मुगलों और उनके सहयोगियों से कई बार लड़े।