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घरौंदे के रूप में बच्चियों ने किया सांची स्तूप का निर्माण, लोग खूब कर रहे पसंद

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द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर: 

हमारे देश में हर पर्व-त्यौहार के अपने अलग मायने ,अलग अर्थ और महत्व है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा की जाती है। इस दिन एक और भी पूजा की जाती है और वो है घरौंदा पूजा। घरौंदे मिट्टी के बनाये जाते है, इसमें तरह-तरह के मिठाई, लावा-मुढ़ी और दिये रखे जाते हैं। घरौंदे में एक विशेष प्रकार की देवी की मूर्ति भी रखी जाती है।

घरौंदा से आती है सुख-समृद्धि
माना जाता है कि घरौंदा की पूजा करने से सुख और समृद्धि की बढ़ोतरी होती है। यह भाई-बहन के अटूट प्रेम का भी संदेश देता है। इस बार कुछ बच्चियों ने घरौंदे पर बेहद ही सुंदर कलाकारी दिखाई है। बच्चियों ने घरौंदे के रूप में सांची के स्तूप बनाया है। 

15 दिन लगे घरौंदा बनाने में 
ये बच्चियां चाकुलिया नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत शिल्पीमहल की रहने वाली हैं। छात्राओं ने बताया कि उन्हें इस घरौंदे को बनाने में करीब 15 दिनों का समय लगाया है। इसके बारे में सबसे पहले श्रेया परी ने सोचा था। इसमें उनका साथ पूजा महापात्रा, ममता उपाध्याय एवं निशा उपाध्याय ने दिया। 

घरौंदे में दीप जलाया
बच्चियों का कहना है  कि घरौंदा हमारी  धार्मिक एवं प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है। घरौंदा बनाने का मजा ही कुछ और है। हम लोगों ने इस बार सांची के स्तूप बनाया। इसमें हमने बेकार पड़े लकड़ी, थर्माकॉल, ईंट के टुकड़ों, बांस एवं मिट्टी का उपयोग किया है। दीपावली के दिन छात्राओं ने घरौंदे में दीप जलाया, भोग लगाया और पूजा भी की।