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कृषि कानून वापस लिया लेकिन खत्म नहीं हुई है किसानों की चिंता: डॉ. रामेश्वर उरांव

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

झारखंड  प्रदेश कांग्रेस कमिटी के पूर्व अध्यक्ष सह झारखंड के खाद्य आपूर्ति और वित्तमंत्री डॉ0 रामेश्वर उरांव ने संसद से ती न नये कृषि कानून को वापस लिये जाने के कदम का स्वागत करते हुए कहा कि किसानों की चिंता अब भी समाप्त नहीं हुई हैं। डॉ. उरांव ने कहा कि अभी भी मृत किसानों के आश्रितों को मुआवजा, एमएसपी और किसानों के खिलाफ दर्ज  मुकदमों की वापसी का सवाल अनुत्तरित है। सरकार को इस पर भी विचार करना होगा। 

वित्त मंत्री ने दिखाया विक्ट्री का साइन
लोकसभा से विधेयक सर्वसम्मति से पास हो जाने के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव के साथ कांग्रेस भवन पहुंचे एवं जीत का साइन दिखाया एवं खुशी का इजहार किया। इस मौके पर कांग्रेस नेता निरंजन पासवान, प्रभात कुमार, नरेंद्र लाल गोपी, दिनेश लाल सिन्हा,गुलाम रब्बानी, दामोदर दास बाल्मीकि, जगन्नाथ साहू मुख्य रूप से उपस्थित थे।

किसानों की बड़ी चिंता अभी भी MSP
डॉ0 उरांव ने कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि किसानों की अब भी सबसे बड़ी चिंता फसल को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी की हैं, इसलिए किसानों को इसकी गारंटी मिलनी चाहिए। वित्त मंत्री ने बताया कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के लिए कानून बनाया जाना आवश्यक है, क्योंकि देश में बाजार की जो स्थिति है, उससे सभी वाकिफ है, देश में बढ़ती महंगाई के कारण किसानों के फसल लागत में लगातार बढ़ोत्तरी होते जा रही हैं, लेकिन किसानों का लाभ स्थिर है, इसलिए एमएसपी को कानूनी स्वरूप दिया जाना आवश्यक हैं।

कृषि कानून के विरोध में किया कई आंदोलन
डॉ0 रामेश्वर उरांव ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहने के दौरान अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के मार्ग निर्देशन में उन्होंने राज्य भर में तीनों नये कृषि कानून के खिलाफ व्यापक आंदोलन चलाया। कई स्थानों पर ट्रैक्टर रैली हुई। कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और अंततः किसानों की जीत हुई, इसके लिए वे किसानों को बधाई देते हैं। उरांव ने कहा किसानों ने एक बार फिर देश को सिखाया कि जनता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जनता सर्वोपरि होती है। आज वास्तव में लोकतंत्र की जीत हुई है। 
कांग्रेस ने 70 साल में यह साबित हो गया है कि देश में लोकतंत्र की जड़ें कितनी नीचे तक पहुंच चुकी है। एक कदम देश आगे बढ़ा है, हमारी कृषि बची है, किसान भाई बचे हैं किसानों को हम धन्यवाद देते हैं जिनके आंदोलन ने रंग लाया।

न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग मानी जाये
प्रदेश कांग्रेस नेता आलोक दूबे ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि कृषि काले कानून वापस तो जरूर हो रहे हैं लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की किसान संगठनों की मांगों को मान लेना चाहिए,उन्होंने कहा बहुमत कुछ भी हो जनता के खिलाफ काम करने वाली सरकार को मुंह की खानी ही पड़ती है।

झारखंड में कृषि कानून के विरोध में आंदोलन
कांग्रेस नेता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा एक वर्ष तक किसानों के आंदोलन के साथ तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर राव के नेतृत्व में पूरे झारखंड में व्यापक आंदोलन किए गए,ट्रैक्टर रैली आयोजित की गई,झारखंड बंद किए गए, तीन बार राजभवन मार्च किए गए। हजारीबाग, रामगढ़, देवघर,गोड्डा में रैलियां की गई,आगे भी पार्टी न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर पार्टी किसानों के साथ खड़ी रहेगी।