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2 दिन से रिम्स में तड़प रहा कोरोना मरीज, अबतक शुरू नहीं हुआ इलाज

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द फॉलोअप टीम, रांची :  झारखंड में कोरोना के मरीजों का इलाज अब भगवान भरोसे है। कल तक रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में कोरोना मरीज का इलाज के बी-टू वार्ड में बेड नंबर-30  में 23 वर्षीय पलामू (लेस्लीगंज) निवासी सोनू कुमार गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर मेडिसिन विभाग में भर्ती हैं। लेकिन उनका अभी तक इलाज शुरू नहीं हुआ है। उनके बेड तक कोई नर्स या डॉक्टर पहुंचा है। वह इलाज के लिए छटपटा रहा है। इसके कारण उनके परिजन काफी परेशान हैं। कल इसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई है। उसके बाद से रिम्स प्रबंधन ने उसे अपने हाल पर छोड़ दिया है।

सीएम को ट्विटर के जरिये जानकारी दी
इस संबंध में सामाजिक विचार मंच के संयोजक कंवलजीत सिंह ने मुख्यमंत्री को भी ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी है। वे लगातार रिम्स प्रशासन के डॉक्टर्स और नर्सों से गुहार लगाकर थक चुके हैं। ऐसे माहौल में अगर मरीज को कुछ हो जाता है तो, इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?  यह जवाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है। 

लोहरदगा में आयुष्मान योजना फेल
रांची से सटे लोहरदगा जिले के शहरी इलाके में किसी भी तरह के मरीजों का इलाज मुश्किल होता जा रहा है। लोहरदगा में आयुष्मान योजना के तहत भी किसी तरह का इलाज नहीं हो रहा है। आयुष्मान योजना का गोल्डेन कार्ड भी अभी बेकार साबित हो रहा है। मरीजों से कहा जाता है कि अभी इस कार्ड से इलाज नहीं होगा। ऐसे में सवाल उठता है कि गरीब मरीज जायें तो जायें कहां?

कोरोना के संदेह में मरीजों को भर्ती नहीं लेते
लोहरदगा शहर के 15 से अधिक निजी अस्पतालों में कोरोना के संदेह में कई मरीजों का इलाज कराना मुश्किल हो गया है। पिछले 7 जुलाई को लोहरदगा शहर के करचा टोली की सुमन कुजूर प्रसव पीड़ा से छटपटाती रही लेकिन निजी-सरकारी अस्पतालों में भर्ती लेने से इंकार किया। सुमन के परिजन पहले लोहरदगा के सदर अस्पताल ले गये। वहां कहा गया कि नर्स-डॉक्टर नहीं हैं। मिशन अस्पताल में कहा गया कि पहले कोरोना टेस्ट कराना होगा। इसके बाद न्यू रोड स्थित एक निजी नर्सिंग होम में पहले 10 हजार रुपये जमा लिए गए। ये हाल है सूबे के स्वास्थ्य तंत्र का।