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बिशप थियोडोर मस्करेंहस बोले, आदिवासियों और दलितों ने खो दिया अपना मसीहा

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द फॉलोअप टीम, रांची:
बिशप थियोडोर मस्करेंहस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता फदर स्टेन स्वामी के निधन पर कहा कि वो आंतरिक रूप से धार्मिक व्यक्ति थे। उनमें ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी। उन्होंने सत्य और न्याय के  मूल्यों के अनुसार जीवन गुजारा। गरीबों और असहाय लोगों के प्रति किए गए अन्याय, शोषण और अत्याचार के विरूद्ध उन्होंने जीवनभर आवाज उठाई। वे साधरण समाज सेवी नहीं थे। वे तीक्षण बुद्धिवाले एक सच्चे, कर्मठ और निस्वार्थ समाजसेवी थे। आज गरीब आदिवासियों और दलितों ने अपना मसीहा खो दिया है। वहीं मानवता ने एक सच्चे इंसान को भी खो दिया है।



आर्च बिशप हाउस में हुई विशेष प्रेयर 
फादर स्टेन स्वामी के निधन पर रांची कैथोलिक  आर्चडायसिस ने शोक जताया है। पुरुलिया रोड स्थित आर्च बिशप हाउस में उनकी आत्मा  की शांति के लिए विशेष प्रार्थना की गई। बिशप थियोडोर मस्करेंहस ने कहा कि गरीबों पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले सरकारी नियम-कानूनों का फादर स्टेन ने गहराई से शोध किया था। इससे संबंधित कई लेख और पुस्तिकाएं लिखीं। उनका एक प्रमुख कार्य आदिवासियों और दलितों को संविधान के अधिकारों से अवगत कराना था। स्वार्थी शक्तियों ने उनका हरदम विरोध किया क्योंकि वे  जानते थे कि बुद्धिजीवियों की कलम तलवार से भी तेज और घातक होती है। ये शक्तियां फादर स्टेन की आवाज को को दबाना चाहती थी।