द फॉलोअप टीम, रांची:
भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने जनजातीय सलाहकार परिषद के गठन को असंवैधानिक और अपूर्ण करार देते हुए कहा कि भाजपा के सदस्य टीएसी की बैठकों में भाग नहीं लेंगे। भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची का उल्लंघन करते हुए हेमंत सरकार ने टीएसी का गठन किया है। सरकार मनमानी करने पर उतारू है। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए टीएसी का गठन किया गया है। बाबूलाल आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनजाति सलाहकार परिषद की मूल भावना जनजाति समाज के सर्वांगीण विकास के लिये सरकार को सलाह देना। जब तक नियमावली में सुधार नहीं होगा टीएसी की बैठक में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य शामिल नहीं होंगे। प्रेसवार्ता में सांसद समीर उरांव, विधायक कोचे मुंडा,शिवशंकर उरांव, अरुण उरांव और अशोक बड़ाईक भी शामिल थे।
क्या-क्या लगाया आरोप
बाबूलाल ने कहा कि अध्यक्ष जनजाति समाज से ही बनाया जाना चाहिये ना कि पदेन राज्य के मुख्यमंत्री को। परिवर्तित नियमावली में मूल भावना के विपरीत प्रावधान किए गए हैं। ट्राईबल एडवाइजरी कमेटी में महिलाओं को भी स्थान मिलना चाहिए था। साथ ही आदिम जनजाति सदस्य को भी सदस्य बनाना चाहिए था। परंतु इसका ध्यान इसमे नही रखा गया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इस संबंध में सलाह देते हुए सरकार से इसकी मांग भी की थी। राज्यपाल के अधिकारों का भी हनन करते हुए टीएसी का गठन किया गया है। इन विसंगतियों पर पार्टी ने 6 जून को महामहिम राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन भी सौंपा है परंतु सरकार मनमानी करने पर आमादा है।
भाजपा ने TAC मामले में बैठक भी की
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में बैठक भी हुई। बैठक में टीएसी के संवैधानिक पहलुओं और पार्टी की रणनीति पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, टीएसी के सदस्य व पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, टीएसी के सदस्य व पूर्व मंत्री व विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, टीएसी के सदस्य व विधायक कोचे मुंडा, एसटी मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद समीर उराँव, डॉ अरुण उराँव, एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर उराँव, महिला मोर्चा की अध्यक्ष आरती कुजूर शामिल थें।