हितेश एस वर्मा, ग्वालियर:
प्रशांत किशोर कहते हैं आपको सुन कर आश्चर्य हो सकता है, पर राहुल गांधी 2024 में आश्चर्यचकित रूप से प्रधानमंत्री बन जाएंगे। यह हवा में कही हुई बात नहीं है और इसके कुछ कारण हैंं। कुछ दिनों पूर्व प्रशांत किशोर शरद पवार से क्या मिले, लोगों ने तरह-तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए। यहां तक निष्कर्ष निकाले गए कि यह मीटिंग इसलिए हुई क्योंकि ममता बैनर्जी के लिए प्रधानमंत्री पद हेतु किशोर लाबिंग कर रहें हैं। कल्पनाओं के घोड़ों का क्या है, कितने ही दौड़ा लो। खैर, पॉलिटिक्स में पीएम पद की दौड़ पूरी करनी हो तो, तैयारियों पर काम होना अमूमन ढाई तीन साल पहले शुरू हो जाता है।
मोदी को शानदार पैकेजिंग के साथ किया था लॉन्च
जब आप एक बेहतरीन सब्ज़ी खाते हैं तो उसमें तरह तरह के इंग्रेडिएंट्स पड़ते हैं तब कहीं वो बन पाती है. ठीक वैसे ही बेस्वाद सब्ज़ी बनने में भी तरह-तरह के इंग्रेडिएंट्स पड़ते हैं। ऐसी बेस्वादी का ज़ायका पिछले कुछ वर्षों से भारत लेे ही रहा है, जिसे हमें परोसने का ज़िम्मा प्रशांत किशोर ने ही 2013-14 में निभाया था। इन्हीं की मार्केटिंग स्ट्रेटजी के तहत मोदी को महान बता कर, शानदार पैकेजिंग के साथ लॉन्च किया गया था। उन्हें सक्सेस भी मिली. पर मेरी नजर में इतने वर्षों में मोदी जी बेहतरीन अवसर को भुना ना सके। ख़ुद के और मित्रों के लिए क्या कर गए वैसे नहीं, पब्लिक के लिए क्या कर पाए उस दृष्टि से।
राहुल के लिए तीन साल की योजना है तैयार
मुख्य बात यह है कि इस दौरान प्रशांत किशोर की कुछ निजी मांगें रहीं थीं, जिन्हें वो पूरा करने के लिए मोदी को चुनाव जीतने उपरांत कहते रह गए, पर उनकी सुनी नहीं गई। भारत के तंत्र में प्रोफेशनल्स एवं रिसर्चर्स की कोलेटरल एंट्री और रिसोर्सेज का डीसेंट्रलाइज करने को लेकर उन्होंने जबरदस्त वकालत की, जिसपर मोदी जी का उन्हें सपोर्ट नहीं मिला। प्रशांत किशोर के अनुसार राहुल गांधी अचानक 2024 में प्रधानमंत्री बन जाएंगे, इसे आज मज़ाक में लिया जा सकता है। पर अगले तीन वर्षों में उन्हें पीएम की कुर्सी तक पहुंचाने की तैयारी प्रशांत किशोर कर चुके हैं, जिसमें ममता, केजरी, पंवार, उद्धव, अखिलेश, स्टालिन आदि, जैसे इंग्रेडिएंट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. वे समझते हैं कि उनके ये रेवोल्यूशनरी आइडियास को इम्प्लीमेंट करने की क्षमता राहुल जैसे विज़नरी नेता में ही है।
राहुल को रोक पाना अब नामुमकिन होगा
प्रशांत किशोर की सियासी बुद्धिमता कहती है कि रीजनल पार्टीज या इनका नेता पीएम पद के लिए पब्लिकली एक्सेप्ट हो पाना कठिन है, पर राष्ट्रीय पार्टी का वो नेता जो विगत कई वर्षों से राष्ट्र निर्माण की गलत नीतियों पर सवाल उठा रहा हो, उसके सोलूशन्स बता रहा हो, सरकार को समय पूर्व सचेत कर रहा हो, तमाम नीतियों पर काम कर रहा हो और पार्टी के लिए ज़मीन पर धूप धूल छान रहा हो, उसका पीएम पद के लिए एक्सेप्टेन्स पब्लिक में निश्चित ही होगा। भारत की जनता इतनी भी मूर्ख नहीं कि अपने ऊपर इतनी तकलीफ लेती रहे कि उनसे सहन ही ना हो। वैसे भी कहते हैं कि ईश्वर भी हमें उतनी की तकलीफ देते हैं जितने भोगने की हमारी क्षमता हो. मैं जितना करीब से फिलहाल कांग्रेस पार्टी की एक्टिविटीज को देख पा रहा हूँ, मेरा अनुमान भी यही है की राहुल को रोक पाना अब नामुमकिन होगा।
(लेखक हितेश एस वर्मा ग्वालियर में रहते हैं। कांग्रेस से जुड़े हुए हैं।)
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