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झारखंड की पांच कोयला खदानों के लिए 19 कंपनियों ने लगायी बोली, 19 अक्तूबर से बोलीदाताओं की होगी शॉर्टलिस्ट

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द फॉलोअप टीम, रांची 
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना कॉमर्शियल माइनिंग की नीलामी की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है। झारखंड की पांच कोयला खदानों के लिए अडाणी, हिंडाल्को और वेदांता जैसी कंपनियों ने अपना बिड डाला है। 30 सितंबर को टेक्निकल बिड खोला गया है।

झारखंड की पांच कोयला खदानों की बोली लगी
बता दें कि कॉमर्शियल माइनिंग के लिये नीलामी में रखे गये 38 कोयला खदानों में से 23 कोल ब्लॉक के लिये 46 कंपनियों से बोलियां प्राप्त हुई हैं। इनमें झारखंड की पांच कोयला खदानों के लिए 19 कंपनियों की बोली भी शामिल है।

18 जून को नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई 
गौरतलब है कि कोयला मंत्रालय ने कॉमर्शियल माइनिंग के लिये कोयला खदान (विशेष प्रावधान) कानून-2015 के तहत नीलामी के 11वें चरण और खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) कानून-1957 के तहत पहले चरण की नीलामी के अंतर्गत 18 जून को 38 कोयला खदानों के लिये नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी, जिसकी टेक्निकल बिड जमा करने की अंतिम तिथि 29 सितंबर थी। 

नीलामी के लिए 23 कोल ब्लॉक की बोली लगी
मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने कुल 38 कोल ब्लॉक को नीलामी के लिए रखा था। इनमें से 23 कोल ब्लॉक के लिए ही अभी बोली प्राप्त हुई है। इनमें से झारखंड की नौ कोयला खदानें शामिल हैं, पर पांच के लिए ही बोलियां प्राप्त हुई है।

चार कोल ब्लॉक में अडाणी ग्रुप भी शामिल 
इन पांच में से चार कोल ब्लॉक में अडाणी ग्रुप ने भी बोली लगायी है। बोली का मूल्यांकन एक बहु-विषयक तकनीकी मूल्यांकन समिति करेगी और 19 अक्तूबर 2020 से एमएसटीसी पोर्टल पर होनेवाली इलेक्ट्रॉनिक नीलामी में भाग लेने के लिए तकनीकी रूप से योग्य बोलीदाताओं को शॉर्टलिस्ट किया जायेगा।

तमाम विरोध के बावजूद नीलामी प्रक्रिया शुरू 
उल्लेखनीय है कि कोयला श्रमिक यूनियनों के तमाम विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री ने कोयला खदानों में खनन की नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। मोदी सरकार के इस क़दम से देश का कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खुल जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत होना देश के कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से बाहर निकालने जैसा है। हालांकि इन कोयला खदानों के समीप रहनेवाले लोगों ने कहा है कि इससे उनका अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

'आदिवासियों की संस्कृति पर हमला'
झारखंड के कोलियरी क्षेत्रों के ग्राम प्रधानों ने कहा था कि एक तरफ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ खनन की इजाजत देकर आदिवासियों और वन में रहनेवाले समुदायों की आजीविका, जीवनशैली और संस्कृति पर हमला किया जा रहा है। बता दें कि कोयला खदानों की कामर्शियल के लिए नीलामी से देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है।

हेमंत सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है
बता दें कि इस मामले में 18 जून को ही झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, अभी उसपर सुनवाई होनी है। ऐसा समझा जा रहा था कि फैसला आने तक नीलामी प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। सवाल उठता है कि कोयला मंत्रालय के नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व क्या सुप्रीम कोर्ट से किसी भी तरह कोई निर्देश लिया गया है? अब देखना है कि कोयला श्रमिक यूनियन और राज्य सरकारें क्या कदम उठाती है।