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सियासत : नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की मुलाकात के क्या हैं राजनीतिक मायने, जानिये

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पटना:

पिछले कई सालों से राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर का नाम सबसे अग्रणी रहा है। उन्हें चुनाव जिताने वाला कहा जाता है। पश्चिम बंगाल की कमान फिर से ममता बनर्जी के हाथों में सौंपे जाने में उनकी भूमिका मानी जाती है। कई महीनों से वह गैर-भाजपा सियासी गठबंधन बनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। ताजा सूचना है कि उन्होंने जदयू सुप्रीमो व बिहार के सीएम नीतीश कुमार से दिल्ली में मुलाकात की है। बता दें कि कभी नीतिश के सलाहकार भी प्रशांत रह चुके हैं। इस खबर में समझते हैं कि इन दोनों की भेंट के राजनीतिक मायने क्या हैं।

 

नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की मुलकात ऐसे वक्त में हुई है, जब एनडीए में खींचतान की खबरें लगातार आ रही हैं।एमएलसी चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर भी थोड़ी अनबन चल रही है। जब इस मुलाकात के बारे में प्रशांत किशोर से पूछा गया तो उन्होंने बतया कि बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना संक्रमित हो गए थे। उसके बाद वे पहली बार दिल्ली आए हैं। लिहाजा उनसे मुलाकात करने गए थे। इसके अलावा और कोई बात नहीं थी। दूसरी ओर नीतीश कुमार ने मुलाकात के बारे में चुप्पी साध ली है। मीडिया के बार-बार पूछने पर उन्होंने बोला कि प्रशांत किशोर से आज का रिश्ता है नहीं है। उनसे हमारा बहुत पहले से साथ है। मुलाकात का कोई खास मतलब नहीं। 

 

नीतिश ने गलत कहा भी नहीं। प्रशांत कभी महज़ जदयू के सलाहकार ही नहीं रहे, बल्कि जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बने। लेकिन वो पार्टी के आपसी खींचतान के शिकार हुए। कुछ समय बाद ही जदयू के वरिष्ठ नेताओं से प्रशांत किशोर की खटपट हो गई। जिसके बाद प्रशांत ने जदयू का साथ छोड़ दिया था। उसके बाद प्रशांत अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के लिए काम करने लगे।