द फॉलोअप नेशनल डेस्क:
यूपी के हाथरस में फुलरई गांव में नाराण साकार हरि भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच जाने से 122 लोगों की मौत हो गई। 150 से ज्यादा लोग घायल हैं। पहली बार चश्मदीदों के हवाले से हादसे के कारणों पर थोड़ी स्पष्टता आई है। चश्मदीदों ने बताया कि सत्संग खत्म होने के बाद जब बाबा का काफिला निकला तो लोगों में उनका चरण रज लेने की होड़ मच गई। इसी होड़ में काफिले के पीछे भागते लोगों में भगदड़ मची। सड़क किनारे नाला था। उसी नाले में लोग एक के ऊपर एक गिरे और जान गंवा दी। सत्संग स्थल पर प्रशासनिक अक्षमता और अव्यवस्था का आलम ऐसा था कि घायलों और मृतकों को ट्रक, ट्रैक्टर ट्रॉली और टेंपो में लादकर हॉस्पिटल लाया गया।
अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था नहीं थी!
हाथरस में भगदड़ में घायल लोगों को घटनास्थल से 8 किमी दूर सिंकद्राराऊ सीएचसी लाया गया लेकिन लोगों का आरोप है कि वहां इलाज की सुविधा नहीं थी। न तो वहां ऑक्सीजन सिलेंडर थे और ना ही इलाज करने को पर्याप्त डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ। परिजनों का आरोप है कि घायलों ने अस्पताल के बरामदे में दम तोड़ दिया। सोशल मीडिया में कई वीडियो वायरल हैं जहां घायलों को उनके परिजन ही सीपीआर दे रहे हैं। उनको ड्रिप लगा रहे हैं। हालांकि, डॉक्टरों के अभाव और घायलों की अप्रत्याशित संख्या की वजह से मृतकों का आंकड़ा बढ़ता गया। काफी सारे लोगों को एटा जिला अस्पताल भिजवाया गया। इस बीच खबर है कि एटा में आपात ड्यूटी पर बुलाए गये जवान को इतनी बड़ी संख्या में लाशें देखकर हार्ट अटैक आया और उसने दम तोड़ दिया। पूरा नजारा काफी ह्रदय विदारक है।
हाथरस डीएम आशीष कुमार ने क्या जानकारी दी!
हाथरस के डीएम आशीष कुमार ने कहा कि बाबा का समागम था। उन्होंने कहा कि जब समागम का अंत हो रहा था तो अत्यधिक उमस की वजह से लोग जल्दी में सत्संग स्थल से निकलने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी हमारी प्राथमिकता लोगों का इलाज है। मृतकों का स्पष्ट आंकड़ा नहीं मिला है। सीएचसी में डॉक्टरों ने बताया कि 50-60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने दिया था। ये एक निजी आयोजन था। इसमें पर्याप्त सुरक्षा दी गई थी। अंदर की व्यवस्था आयोजनकर्ताओं को करना था। उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन किया गया है। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।