द फॉलोअप डेस्क
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2017 से अब तक यौन उत्पीड़न से जुड़ी 151 शिकायतें दर्ज की गई हैं। यह जानकारी एक आरटीआई के ज़रिए सामने आई है। इस बीच, विश्वविद्यालय का दावा है कि इनमें से लगभग 98% शिकायतों का समाधान किया जा चुका है और वर्तमान में केवल तीन मामले लंबित हैं। हालांकि, विश्वविद्यालय ने गोपनीयता की चिंताओं का हवाला देते हुए शिकायतों की प्रकृति और अपराधियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
2017 में जेएनयू में सेक्सुअल उत्पीड़न के खिलाफ सेक्सुअल संवेदनशीलता समिति (GSCASH) को समाप्त कर दिया गया और उसकी जगह आंतरिक शिकायत समिति (ICC) को लाया गया। छात्रों और शिक्षकों ने इस फैसले का लगातार विरोध किया है, उनका कहना है कि ICC में पारदर्शिता और स्वायत्तता का अभाव है और यह प्रशासन के प्रभाव में काम करती है। वर्ष 2018-19 में कुल 63 शिकायतें दर्ज की गईं। इससे पहले वर्ष 2016 में जीएसकैश के तहत 38 शिकायतें दर्ज की गई थीं। वर्ष 2019-21 में कोविड -19 महामारी के दौरान केवल 6 मामले प्रकाश में आए, जबकि वर्ष 2022-23 और 2023-24 में 30-30 शिकायतें दर्ज की गईं। अप्रैल में एक छात्रा ने यौन उत्पीड़न के मामले में प्रशासन की निष्क्रियता के खिलाफ 12 दिनों तक अनिश्चितकालीन धरना दिया था। नतीजतन, विश्वविद्यालय ने छात्रा और उसके समर्थकों पर जुर्माना लगाया। अक्टूबर में फ्रेशर्स पार्टी के दौरान 47 छात्रों ने यौन उत्पीड़न और हिंसा की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी तरह, अप्रैल में एक छात्र ने एक प्रोफेसर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद कैंपस छोड़ने की बात कही थी। इन घटनाओं ने आईसीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और छात्रों के बीच व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ है ।