द फॉलोअप डेस्क
ट्रेन और स्टेशनों से गुटखे का दाग मिटाने में रेलवे को 1200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। इसी के साथ रेलवे ने ये भी कहा है कि लोग गुटखा खाकर ट्रेन में सफर न करें, इसका प्रचार करने में भी करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। लेकिन लोग फिर भी इस आदत से बाज नहीं आते। अप्रत्यक्ष रूप से इसका सीधा असर रेलवे के रख-रखाव और और यात्रियों को दिये जाने वाली सुविधा पर पड़ता है। रेलवे ने कहा है कि उसका फोकस रेल यात्रियों की सुविधा बढ़ाने पर रहता है, पर लोगों के गुटखा खा कर यात्रा करने की आदत के कारण उसे कई बार अपनी नीतियों में और किये जाने वाले खर्च की प्राथमिकताओं को बदलना पड़ता है।
भारतीय रेल दुनिया में चौथे स्थान पर
बता दें कि भारतीय रेलवे रैंकिंग में दुनिया की चौथी बड़ी सबसे रेल व्यवस्था है। एक अध्ययन के मुताबिक भारतीय ट्रेनों में प्रतिदन लगभग ढाई करोड़ यात्री सफर करते हैं। इसमें सभी अधिक यात्री मुंबई की लोकल ट्रेनों से आना जाना करते हैं। लेकिन गुटखा के कारण रेलवे स्टेशनों के परिसरों को साफ-सुथरा रखना रेलवे के लिए अभी भी चुनौती बना हुआ है। रेलवे ने 2021 का जो जो आकड़ा दिया है, उसके मुताबिक हर साल गुटखा से होने वाली गंदगी को साफ करने में रेलवे को 1200 करोड़ रूपया खर्च करना पड़ा है।
क्या है कानून
आपको बता दें कि ट्रेन में शराब पीकर या पान खाकर सफर करना गैरकानूनी है। वहीं, ट्रेन के अंदर सिगरेट पीने पर भी पाबंदी है। इन नियमों को तोड़ने पर देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह की सजा का प्रावधान है। इसमें 500 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक के फाइन का प्रावधान किया गया है। लेकिन गुटखा खाकर सफर करने पर पाबंदी अभी तक नहीं लगाई गयी है। लोग इसी कारण ट्रेनों में गुटखा खाकर सवार हो जाते हैं।
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