द फॉलोअप डेस्क
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को बढ़ते प्रदूषण का स्तर देखते हुए एक निर्णायक कदम उठाया है। इसमें कोर्ट ने गीता कॉलोनी के पास यमुना नदी के तट पर होने वाले छठ पूजा समारोह की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इस इंकार की वजह कोर्ट ने खतरनाक रूप से उच्च प्रदूषण स्तरों के कारण स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण खतरों को बताया है। वहीं, इस दौरान मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की अध्यक्षता वाली पीठ ने किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के लिए यमुना नदी का उपयोग करने के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी की है।मुख्य न्यायाधीश ने क्या टिप्पणी की
वहीं, इस सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने टिप्पणी की कि नदी की स्थिति खतरनाक रूप से प्रदूषित है। नदी में ऐसी गतिविधियों में शामिल होना बहुत हानिकारक हो सकता है। इस दौरान उन्होंने संभावित स्वास्थ्य जोखिमों पर भी जोर दिया और कहा कि सच तो यह है कि नदी इतनी प्रदूषित है कि अगर आप इसमें डुबकी लगाते हैं, तो इस बात की संभावना है कि किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। हम ऐसा नहीं होने दे सकते।
दिल्ली हाईकोर्ट के इस फैसले को कालिंदी कुंज में यमुना नदी की सतह पर तैरते हुए मोटे, जहरीले झाग के भयावह दृश्य से बल मिला। यह यमुना नदी के भयावह प्रदूषण स्तर का प्रमाण है। बता दें कि कोर्ट के फैसले के बावजूद छठ पूजा के पहले दिन कई भक्तों ने यमुना के जहरीले पानी में बेपरवाह होकर डुबकी लगाई।