द फॉलोअप नेशनल डेस्क
महाराष्ट्र में लगभग तय हो गया है कि महायुति की सरकार राज्य में बननी तय है। अब सीएम पद पर लोगों की नजरे हैं। बीजेपी की ओर से इस रेस में देवेंद्र फड़णवीस सबसे आगे हैं। लेकिन उनकी राह में निवर्तमान सीएम एकनाथ बड़ी बाधा बन सकते हैं। बहरहाल, महाराष्ट्र की गुत्थी महायुति ने सुलझा ली और बंपर जीत के साथ वापसी की है। महायुति का हिस्सा बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी तीनों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और महायुति का स्ट्राइक रेट करीब 73 पर्सेंट तक पहुंचा दिया। महायुति का मुकाबला महा विकास अघाड़ी से था। इस गठबंधन की मुख्य पार्टियां कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी हैं। महाविकास अघाड़ी की कोई भी पार्टी सही प्रदर्शन नहीं कर पाई और महा विकास अघाड़ी का स्ट्राइक रेट करीब 17 पर्सेंट के आसपास रहा।
किस पार्टी का कैसा रहा प्रदर्शन
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर यानी 149 सीटों पर बीजेपी ने चुनाव लड़ा था। बीजेपी का स्ट्राइक रेट 88 पर्सेंट के आसपास है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीटों पर लड़ी थी और इनका स्ट्राइक रेट भी करीब 69 पर्सेंट रहा। अजीत पवार की एनसीपी 66 सीटों पर लड़ी थी और स्ट्राइक रेट करीब 63 पर्सेंट रहा। महायुति की जो सबसे बड़ी टेंशन थी वह इसे लेकर थी कि अजीत पवार की पार्टी कैसा प्रदर्शन करेगी और क्या वह अपना वोट बीजेपी को ट्रांसफर कर पाएगी। नतीजों से लगता है कि वोट ट्रांसफर हुआ है। अजीत पवार की इस चुनाव में मजबूत बनकर उभरे हैं। एकनाथ शिंदे की इमेज का भी महायुति को फायदा पहुंचे।
महायुति के समर्थन में रहीं ये स्थितियां
एकनाथ शिंदे की उम्मीद एक सरल और आम आदमी की है और उनके सीएम रहते मुख्यमंत्री तक लोगों की पहुंच आसान हुई थी। लाडकी बहिन योजना ने महायुति के पक्ष में काम किया और इस बंपर जीत तक पहुंचाया। हरियाणा की तरह महाराष्ट्रा में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके संगठन सक्रिय थे और उन्होंने बीजेपी के नेरेटिव को घर घर पहुंचाने का काम किया। एक हैं तो सेफ हैं नेरेटिव झारखंड में तो नहीं चला लेकिन महाराष्ट्र में महायुति को इसका फायदा मिला है।