डेस्क :
साल 2014 से एनडीए की सरकार आने के बाद NCERT के पाठ्यक्रम में कई तरह के बदलाव समय-समय पर किए जाते रहे हैं। इन बदलावों के तहत कुछ अंशों को एनसीईआरटी की किताबों से हटा दिया गया है जबकि कुछ अंश प्रस्तावित हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, जो अंश हटाए जाएंगे उनमें मुख्य तौर पर गुजरात दंगों का संदर्भ और इमरजेंसी की कठोरता का लोगों और संस्थानों पर पड़ा असर शामिल है।
टेक्स्ट बुक रैशनलाइज़ेशन मुहीम के तहत पाठ्यक्रमो में बदलाव
गुजरात दंगों का अध्याय के साथ प्रदर्शनों और सामाजिक आंदोलनों से जुड़े चैप्टर, साथ ही नर्मदा बचाओ आंदोलन के दौरान हुए प्रदर्शन, दलित पैंथर्स और भारतीय किसान यूनियन के प्रदर्शनों और आंदोलनों के रेफ़रेंस वाले हिस्से शामिल हैं। हो रहे बदलाव छह महीने पहले एनसीईआरटी के एक 'टेक्स्ट बुक रैशनलाइज़ेशन' मुहिम के तहत हैं।
2014 के बाद से यह तीसरा रिव्यु, 2017 में हुए थे 1334
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने कक्षा 6 से लेकर कक्षा 12 तक की मौजूदा इतिहास, राजनीति विज्ञान और समाज शास्त्र की किताबों की पड़ताल की है और प्रस्तावित परिवर्तनों से उनकी तुलना की है। सबसे पहले साल 2017 में बदलाव किया गया था। इसके तहत एनसीईआरटी ने 1334 बदलाव किये थे। जिसमें कुछ नए चैप्टर्स को जोड़ना, सुधार करना और डेटा अपडेट करना जैसे बदलाव शामिल थे। साल 2014 के बाद से यह तीसरा मौक़ा है जब टेक्स्ट बुक रिव्यू किया जा रहा है।
2019 भी हुआ है बदलाव
इस बार टेक्स्ट बुक में हो रहे बदलाव को लेकर अधिकारियों का दावा है कि बदलाव का उद्देश्य कोरोना के कारण बच्चों का जो नुकसान हुआ है उसकी स्पीडी रिकवरी करना है। इससे पहले NCERT टेक्स्ट बुक में दूसरा बदलाव साल 2019 में किया गया था। उस दौरान शिक्षा मंत्री रहे प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों पर से किताबों का बोझ कम करना है।