रांची
अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने आज कल्याण कॉम्प्लेक्स में आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा और अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की।
मंत्री ने अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि बिना किसी शिकायत और बाधा के एकलव्य सहित अन्य सभी कल्याण आवासीय विद्यालयों की नामांकन परीक्षा का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया है। उन्होंने निर्देश दिया कि राज्य के एसटी/एससी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाए।
चमरा लिंडा ने कहा कि वर्ष 2025-26 को आदिवासी स्वाभिमान वर्ष के रूप में समर्पित किया जाएगा। झारखंड की विशिष्ट पहचान यहाँ के आदिवासी समाज से है। राज्य के 32 आदिवासी समुदायों की संस्कृति, परंपराएँ और जीवनशैली इस भूमि की धरोहर हैं। सदियों से इन समुदायों ने अपने श्रम, संघर्ष और साहस से समाज और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखा है। आज ज़रूरत है कि उनके गौरवशाली अतीत को संरक्षित करते हुए, उनके आत्मसम्मान और अधिकारों को और अधिक सशक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और पारंपरिक आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देकर ही उनके स्वाभिमान को मजबूती दी जा सकती है। राज्य सरकार ऐसे नीतिगत निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है, जो आदिवासी समाज के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण को गति दें। उनका सम्मान, स्वाभिमान और विकास केवल संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हमारे नैतिक मूल्यों का भी प्रतिबिंब होना चाहिए। कल्याण मंत्री ने कहा कि विभाग का उद्देश्य एक ऐसे झारखंड की कल्पना को साकार करना है, जहाँ आदिवासी समाज अपने अधिकारों के साथ स्वाभिमानपूर्वक जीवन जी सके और अपनी सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रूप से पहुँचा सके। बैठक में प्रबंध निदेशक टीसीडीसी नीलसोम बागे, उप निदेशक धीरेंद्र सिंह, अपर निदेशक मोनिका टूटी, राकेश उरांव, अमृता कुजूर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।