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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला के झारखंड से जुड़े तार, जांच में जुटी ईडी

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द फॉलोअप डेस्कः
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच की आंच अब झारखंड पहुंच गई है। क्योंकि ईडी ने ग्रेटर नोएडा के कासना थाने में होलोग्राम सप्लाई करने वाली कंपनी प्रिज्म होलोग्राफी के प्रबंध निदेशक विधु गुप्ता, छत्तीसगढ़ उत्पाद विभाग के विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी, उत्पाद आयुक्त निरंजन दास, आयुक्त अनिल तुतेजा और अनवर ढेवर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। प्राथमिकी में ईडी ने बताया है कि डुप्लीकेट होलोग्राम को विभिन्न राज्यों में सप्लाई किया गया है, जिसमें झारखंड भी शामिल है। साथ ही यह भी बताया है कि शराब सिंडीकेट ने प्रिज्म कंपनी से 5 साल में 80 करोड़ होलोग्राम बनाने का कॉन्ट्रेक्ट किया था। इसमें सिंडीकेट को हर होलोग्राम पर 8 पैसे की दर से कमीशन देना तय था। इसी कंपनी को झारखंड में भी होलोग्राम देने का काम मिला था। 


तीनों कंपनियों पर हो चुकी है कार्रवाई 
बता दें कि झारखंड में भी छत्तीसगढ़ मॉडल पर मई 2022 से शराब बेची जा रही है। इनमें एपी त्रिपाठी को सलाहकार बनाया गया था। वहीं, प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्यूरिटी लिमिटेड को होलोग्राम लगाने का काम मिला था। मेसर्स सुमित फैसिलिटीस लिमिटेड को मैन पावर सप्लाई का काम मिला था। तीनों ही छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में आरोपी हैं। इनके विरुद्ध जांच के दौरान ही पता चला कि झारखंड का कनेक्शन इस घोटाले से जुड़ा है। झारखंड में तीनों कंपनियों पर कार्रवाई हो चुकी है। ईडी ने रायपुर के पीएमएलए कोर्ट में दिए गए रिमांड पीटिशन बताया है कि झारखंड की शराब दुकानों में मैनपावर की सप्लाई का ठेका जिस सुमित फैसिलिटिज को मिला है, उस कंपनी के संचालक विकास अग्रवाल हैं। विकास अग्रवाल को ईडी ने अनवर ढेबर का खास सहयोगी बताया है।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में रायपुर के मेयर एजाज ढ़ेबर के भाई अनवर टेबर को ईडी ने गिरफ्तार किया है। ईडी ने अपनी जांच में यह भी बताया कि सीएसएमसीए के निदेशक अरूणपति त्रिपाठी ने छत्तीसगढ़ की सरकारी शराब दुकानों से नन ड्यूटी पेड शराब की बिक्री की। इसमें एपी त्रिपाठी को अनवर ढेबर ने सहयोग किया। सभी दुकानों से कैश कलेक्शन का काम विकास अग्रवाल के द्वारा किया जाता था। विकास अग्रवाल की कंपनी मेसर्स सुमित फैसिलिटिज छत्तीसगढ़ में भी शराब दुकानों में मेनपावर सप्लाई का काम करती थी। इसी तरह शराब की बोतलों पर होलोग्राम लगाने का काम मेसर्स प्रिज्म होलोग्राफी एंड फिल्मस सिक्योरिटी प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी। यह कंपनी भी फर्जी होलोग्राम की सप्लाई करती थी। झारखंड में भी होलोग्राम लगाने के साथ साथ ट्रेसिंग व ट्रैकिंग का काम प्रिज्म होलोग्राफी को ही आवंटित किया गया था।

 

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