द फॉलोअप डेस्क, रांची:
चतरा में राजपूत जाति से आने वाले सुनील सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने भूमिहार जाति से आने वाले कालीचरण सिंह को उम्मीदवार बनाया है। ये बात तो पुरानी हो गयी लेकिन जीत और हार की बिसात बिछाने वाले लोग इतने भर से इत्मीनान नहीं हुए हैं। इंडिया अलायंस ने अब तक नाम नहीं तय किये हैं। भाजपा से राजद में वापसी कर चुके गिरिनाथ सिंह का नाम कल शाम तक सबसे ऊपर चल रहा था। देर रात के बाद फिर से केएन त्रिपाठी का नाम चर्चा में तेजी से चलने लगा है। वैसे तो इसकी कई वजहें बताई जा रही है लेकिन, एक जो सबसे महत्वपूर्ण है बात है, उसकी जानकारी इस खबर में देने जा रहे हैं।
प्रतिद्वंद्वी का स्वजातीय होना बड़ी वजह
चर्चा ये है कि जिस दल को अपना कैंडिडेट तय करना है उसके प्रदेश आलाकमान की जाति और प्रतिद्वंद्वी की जाति एक ही है। ऐसे में बिहार-झारखंड सहित देश भर के लोग जो इस जाति विशेष से हैं, उनका दबाव प्रदेश आलाकमान पर है। दबाव है कि कालीचरण सिंह के सामने किसी डमी कैंडिडेट को टिकट दिलाई जाए ताकि उनकी जीत सुनिश्चित हो सके। बदले में भविष्य में कभी भी प्रदेश आलाकमान चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें उनके समाज के लोग पार्टी बैरियर तोड़कर उनकी मदद करेंगे।
गिरिनाथ को राजपूतों के साथ से कालीचरण को नुकसान
गिरिनाथ सिंह को टिकट मिलने पर चतरा में कालीचरण सिंह की राह मुश्किल हो जाएगी। माना ये जा रहा है कि बीजेपी से नाराज राजपूत जाति का पूरा समर्थन उन्हें मिल सकता है। इसके अलावा यादव, मुसलमान, आदिवासी, क्रिश्चन और ओबीसी का एक चंक उनके साथ आ सकता है। यह बात कालीचरण सिंह के पक्ष में लगे हुए लोग समझ रहे हैं। इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए प्रदेश आलाकमान पर दबाव बनाया गया है और केएन त्रिपाठी से लेकर अरुण सिंह का तेजी से नाम आना इसी दबाव के कारण बताया जा रहा है।