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बोल सकने वाले योगेंद्र को मूक बधिर कोटे से नौकरी मिलने पर क्या कह रहे हैं घरवाले

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द फॉलोअप डेस्कः
जेएसएससी पीजीटी परीक्षा में मूक-बधिर श्रेणी में बोल सकने वाले अभ्यर्थी योगेंद्र प्रसाद के चयन के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी पार्टी भाजपा के आरोप के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इधर मीडिया कर्मियों से बातचीत में योगेंद्र के पिता ने उसपर लगाए जा रहे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा है कि योगेंद्र बोल सकते हैं। 


सुनने में प्रॉबल्म है
योगेंद्र प्रसाद के पिता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि उनके बेटे पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि उनका बेटा बधिर है, उसे सुनने में परेशानी होती है। लेकिन वह बोल सकता है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने बधिर होने का प्रमाण पत्र देकर नौकरी पाई है। लेकिन उनके बेटे पर लगाए जा रहे आरोप उनकी समझ से परे हैं। वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि डॉक्टर का सर्टिफिकेट देने के बाद भी उस पर इस तरह के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं।  योगेंद्र की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि उनके पति सुनने में दिक्कत है। जिसके चलते वह कान में मशीन भी लगाते हैं। इसी आधार पर उन्हें नौकरी मिली है। लेकिन इसके बावजूद उनके पति पर गलत तरीके से नौकरी पाने का आरोप लगाया जा रहा है। इसके चलते उनके परिवार की खुशियां गायब हो गई हैं। 


दरअसल, 12 जुलाई शुक्रवार को धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा 1500 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया था। इस मामले में विपक्ष द्वारा अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। भाजपा विधायक और नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि JSSC PGT शिक्षक नियुक्ति में कई अभ्यर्थियों की बहाली गलत तरीके से हुई है। देवघर जिले के सत्संग नगर निवासी योगेंद्र प्रसाद नामक युवक को मूक-बधिर कोटे के आधार पर नौकरी दी गई, लेकिन हकीकत में वह बोल और सुन सकता है। जो सरकार की अनियमितता को दर्शाता है। 

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