द फॉलोअप डेस्क
रांची के सिल्ली प्रखंड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव में छुआछूत जैसा कोई मामला नहीं है। इसको लेकर रांची जिला प्रशासन की ओर से अधिकारिक सूचना जारी की गई है। दरअसल एक स्थानीय अखबार में ‘नवाडीह गांव यहां सभी कुएं ऊंची जातिवालों के दलित नहीं भर सकते हैं पानी शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई थी। जिसके बाद डीसी राहुल कुमार सिन्हा के निदेशानुसार स्थल जांच की गई। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि यह मामला सिल्ली प्रखण्ड के बड़ाचांगडू पंचायत के अड़ाल नवाडीह गांव घटित हुई है। ’नवाडीह गाँव में कुल नौ टोला है, जिसमें लगभग 370 परिवार रहते हैं। नवाडीह ग्राम में मूलतः महतो, मुंडा, लोहरा, प्रमाणिक, महली, मुखियार, इत्यादि सामाजिक समूह के लोग निवास करते हैं। उक्त घटना के समय तक सभी लोग आपसी मेल-जोल से साथ-साथ रहते आए हैं एवं सभी तरह के सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सामूहिक रूप से सहभागी होते आए हैं।
ग्रामीणों ने छुआछूत से किया इंकार
दैनिक समाचार पत्र में छपी घटना चट्टान टोली की है। जहां तीन लोहरा परिवार के लोग रहते हैं। प्रकाशित खबर के अनुसार 21वीं सदी के इस मौजूदा दौर में भी हमारा समाज छुआछूत और अंधविश्वास से उबर नहीं पा रहा है। इन परिवारों को गांव में रहने वाले तथाकथित ऊंची जाति के लोगों के कुएं से पानी भरने की मनाही है। इन्हें ऊंची जाति के लोगों से मांग कर पानी पीना पड़ता है। खबर में यह भी छपी है कि पीड़ित परिवार के टोले में न कोई कुंआ है न ही सोलर से चलने वाला ट्यूबवेल लगाया गया है। जबकि, मामले की स्थलीय जांच के क्रम में गांव का भ्रमण किया गया एवं सभी पक्षों के साथ बैठक की गई। सभी पक्षों की बातों को सुना गया। सभी तथ्यों को सुनने एवं पड़ताल के उपरांत खबर में छपी छुआछूत ‘अंधविश्वास’ ‘ऊची जाति’ ‘लोहरा (दलित) जैसे शब्द भ्रामक एवं उन्माद फैलाने वाले प्रतीत होते हैं। यह घटना महतो एवं लोहरा जाति के बीच की है, जिसमें ऊंची जाति या दलित जैसी कोई भावना नहीं है। जांचोपरांत पता चला कि दोनों समूह झारखंड राज्य की जातियों की सूची पिछड़ी जाति (बीसी एनेक्सचर-1) में दर्ज है। ग्रामीणों ने भी छुआछूत जैसी बातों का खंडन किया एवं उनके द्वारा बताया गया कि समाज के लोग सभी सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों में एक साथ सहभागी होते हैं।
पानी की किल्लत को लेकर हुई है समस्या
स्थलीय जांच के बाद डीसी को भेजे गए रिपोर्ट में कहा गया है कि मूलतः यह समस्या पानी की किल्लत को लेकर उठी है। अधिकांश कुएं निजी जमीन पर बने हैं। जिसमें कुछ लोगों द्वारा अन्य लोगों को पानी भरने नहीं दिया जाता है। दरअसल गर्मी के कारण कुएं का जलस्तर कम हो गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भ्रमण के दौरान 5-6 सरकारी कुएं भी पाए गए हैं, जो साफ-सफाई के अभाव में या तो सूख गए हैं या पानी गंदा हो गया है।
खराब चापानल व जलमीनार की कराई गई मरम्मत
डीसी को भेजे रिपोर्ट में बताया गया है कि खबर प्रकाशित होने के बाद जल संबंधी समस्या का निरीक्षण सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, अनगडा एवं कनीय अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता प्रशाखा, सिल्ली के द्वारा किया गया। सर्वेक्षण के उपरांत खराब पड़े चापाकल की मरम्मत एवं पुराने जलमीनार की मरम्मत तत्काल करा दी गई। संपूर्ण गांव को एसवीएस से जलापूर्ति के लिए अच्छादित करने के लिए स्वीकृत योजना के तहत कार्य प्रारंभ करा दिया गया है। साथ ही विभाग द्वारा अतिशीघ्र बोरिंग कराने का निर्णय लिया गया है।
जिला प्रशासन ने कराया बोरिंग
पानी की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से बोरिंग कराया गया है। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में टैंकर से पानी भी उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ की निजी कुआधारियों द्वारा बैठक कर सर्वसम्मति से लिखित में दिया गया है कि कोई भी निजी कुआधारी पानी लेने के लिए किसी भी समुदाय को नहीं रोकेंगे। मुखिया, ग्राम प्रधान, पंचायत सेवक, रोजगार सेवक, जल सहिया, आंगनबाड़ी सेविका आदि सरकारी कर्मियों को स्थिति पर निगरानी रखते हुए सभी सरकारी सुविधा सभी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।
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