द फॉलोअप नेशनल डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ। मोहन भागवत ने घटती जनसंख्या दर पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट समाज के लिए ठीक नहीं है। कहा कि हिंदू समाज के लोगों को कम से कम दो या तीन बच्चे जरूर रखने चाहिये। मोहन भगवात के इस बयान पर विपक्ष के नेताओं में कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने घेरा है।
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मोहन भागवत के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोहन भागवत चीन से सीख नहीं ले पा रहे और वो जनसंख्या के मामले में देश को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। मेरा तो उनको सुझाव है कि मोहन भागवत हैं, पीएम मोदी हैं, यूपी के सीएम योगी हैं तो सबसे पहले ये शुरुआत करें अगर इन्हे जनसंख्या की इतनी चिंता है तो, इनसे शुरुआत होनी चाहिए।
AIMIM प्रमुख ओवैसी ने भी मोहन भागवत को घेरा
वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मोहन भागवत के बयान पर सवाल उठाया है। ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत कहते हैं कि जनसंख्या बढ़ानी चाहिए, लेकिन क्या वह यह सुनिश्चित करेंगे कि बच्चों को कुछ फायदा मिले? क्या वह गरीब परिवारों को हर महीने 1500 रुपये देंगे?" ओवैसी ने यह भी कहा कि भागवत को अपने समुदाय से उदाहरण लेकर दिखाना चाहिए। बताना चाहेंगे कि भागवत के बयान के बाद जनसंख्या वृद्धि और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर देशभर में बहस तेज हो गई है। विपक्ष ने इस पर राजनीति करने का आरोप लगाया है, जबकि संघ प्रमुख ने इसे समाज के अस्तित्व से जोड़ते हुए जनसंख्या नीति पर ध्यान केंद्रित किया है।
मोहन भगवत ने क्या कहा
दरअसल मोहन भगवत ने जनसँख्या पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ''जनसंख्या में गिरावट चिंता का विषय है. आधुनिक जनसंख्या विज्ञान कहता है कि जब किसी समाज की जनसंख्या (प्रजनन दर) 2.1 से नीचे चली जाती है तो वह समाज धरती से लुप्त हो जाता है। इस तरह से कई भाषाएं और समाज नष्ट हो गए.जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए। हमारे देश की जनसंख्या नीति 1998 या 2002 में तय की गई थी. इसमें यह भी कहा गया है कि किसी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए. देश की जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 होनी चाहिए। यह संख्या समाज को जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण है।