logo

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सात प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की

narendre_modi5.jpg

द फॉलोअप डेस्क 
नयी दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित सात प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा के लिए बुधवार को ‘प्रगति’ बैठक की अध्यक्षता की। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 76,500 करोड़ रुपये है। उनके कार्यालय ने यह जानकारी दी।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र या राज्य स्तर पर सरकार के प्रत्येक अधिकारी को इस बात के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए कि परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि जनता को परियोजना के अपेक्षित लाभ से भी वंचित होना पड़ता है।
मोदी ने आज ‘प्रगति’ के 44वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की। ‘प्रगति’ केन्‍द्र और राज्य सरकारों की भागीदारी वाली सक्रिय शासन व्यवस्था और समयबद्ध क्रियान्वयन के लिए आईसीटी आधारित बहु-मॉडल मंच है। यह तीसरे कार्यकाल की पहली बैठक थी।
बयान के अनुसार, बैठक में सड़क संपर्क से संबंधित दो परियोजनाओं, दो रेल परियोजनाओं और कोयला, बिजली एवं जल संसाधन क्षेत्र की एक-एक परियोजना सहित सात महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई।

इसमें कहा गया कि इन परियोजनाओं की कुल लागत 76,500 करोड़ रुपये से अधिक है और ये 11 राज्यों एवं केन्‍द्र शासित प्रदेशों-उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और दिल्ली से संबंधित हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “एक पेड़ मां के नाम” अभियान परियोजना विकास के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा में मदद कर सकता है।
बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने अमृत 2.0 और जल जीवन मिशन से संबंधित सार्वजनिक शिकायतों की भी समीक्षा की। ये परियोजनाएं अन्य बातों के साथ-साथ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्याओं का समाधान करती हैं।
बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि पानी एक बुनियादी मानवीय जरूरत है और राज्य सरकारों को जिला स्तर के साथ-साथ राज्य स्तर पर शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निपटान सुनिश्चित करना चाहिए।
इसमें कहा गया कि जल जीवन परियोजनाओं का पर्याप्त संचालन और रखरखाव तंत्र इसकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री ने जहां संभव हो वहां महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने और संचालन एवं रखरखाव कार्यों में युवाओं को कुशल बनाने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री ने जिला स्तर पर जल संसाधन सर्वेक्षण कराने की बात दोहराई और स्रोत स्थिरता पर जोर दिया।
मोदी ने मुख्य सचिवों को अमृत 2.0 के तहत कार्यों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने की सलाह दी और कहा कि राज्यों को शहरों की विकास क्षमता और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शहरों के लिए पेयजल योजनाएं बनाते समय, शहर से लगे क्षेत्रों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए क्योंकि समय के साथ ये क्षेत्र भी शहर की सीमा में शामिल हो जाते हैं।

मोदी ने कहा कि देश में तेजी से हो रहे शहरीकरण को देखते हुए शहरी शासन, व्यापक शहरी नियोजन, शहरी परिवहन नियोजन और नगर निगम वित्त में सुधार समय की महत्वपूर्ण मांग है। उन्होंने कहा कि शहरों की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ जैसी पहल का लाभ उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने भारत सरकार के मुख्य सचिवों और सचिवों से ‘मिशन अमृत सरोवर’ कार्यक्रम पर काम जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा कि अमृत सरोवरों के जलग्रहण क्षेत्र को साफ रखा जाना चाहिए और आवश्यकतानुसार ग्राम समिति की भागीदारी से इन जल निकायों की सफाई की जानी चाहिए।
‘प्रगति’ बैठकों के 44वें संस्करण तक, 18.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली 355 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।

Tags - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परियोजना समीक्षा Prime Minister Narendra Modi Project Review