द फॉलोअप डेस्कः
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जरूरी नहीं है कि तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार किया जाए। अगर रिश्ते में साथ रहने की गुंजाइश नहीं दिख रही तो 6 महीने से पहले भी तलाक लिया जा सकता है। बता दें कि पहले तलाक के लिए दम्पती को रिश्ते को एक मौका देते हुए और काउंसलिंग के लिए 6 महीने का इंतजार करना होता था लेकिन अब कोर्ट ने इस अवधि को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट के नए फैसले के मुताबिक तलाक के लिए अवधि को पूरा करना जरूरी नहीं है, साथ ही फैमिली कोर्ट जाना भी जरूरी नहीं। कोर्ट ने कहा कि उसने वे फैक्टर्स तय किए हैं, जिनके आधार पर शादी को सुलह की संभावना से परे माना जा सकेगा। इसके साथ ही कोर्ट यह भी सुनिश्चित करेगा कि पति-पत्नी के बीच बराबरी कैसे रहेगी। इसमें मैंटेनेंस, एलिमोनी और बच्चों की कस्टडी शामिल है। यह फैसला जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संविधान पीठ ने सुनाया। कोर्ट ने ये फैसला 2014 के दंपत्ति के केस को लेकर सुनाया है। जिन्हें कोर्ट ने अपनी शादी को दोबारा मौका देने की सलाह दी थी।
आपसी सहमति से ले सकते हैं तलाक
कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि तलाक के लिए जरूरत पड़ने पर कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सकता है। कोर्ट ने कहा है कि अगर दंपत्ति के रिश्ते में सुधार की गुंजाइश न बची हो तो 6 महीने की अवधि का भी इंतजार करने की जरूरत नहीं है। कुछ शर्तो के साथ आपसी सहमति से तलाक लिया जा सकता है। इसके लिए कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत अपनी अपरिहार्य शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है। इस अनुच्छेद के तहत कोर्ट के पास कुछ विशेष शक्तियां हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट के इस फैसले ने उन लोगों की राहें आसान कर दी हैं, जिनका रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच चुका है या जो तलाक से पहले ही अलग रह रहे हैं।