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'मां जिंदा है बस नींद में हैं'; शव के साथ 4 दिन घर में बंद रहा युवक

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द फॉलोअप डेस्क
धनबाद में मां की शव के साथ एक बेटा 4 दिनों तक रह रहा था। शव से जब बदबू आने लगी तो आसपास के लोगों को इसकी जानकारी हुई। युवक ने जब  मोहल्ले के सौरव उपाध्याय के घर जाकर देखा तो उसकी मां का शव पड़ा था। युवक से पूछने पर उसने कहता रहा कि मां सो रही है। इसके बाद लोगों ने आधी रात जबरन एंबुलेंस बुलाकर आशा उपाध्याय के शव को SNMMCH पहुंचाया। जहां डॉक्टर ने महिला के 4 दिन पहले ही जान जाने की जानकारी दी। 


पुलिस ने ऑटो बुलाकर जबरन सौरव व उसकी मां के शव को घर भेजा
SNMMCH के चिकित्सकों के अनुसार आशा उपाध्याय की मौत गत 12 मार्च को ही हो गयी थी। जिस दिन आशा देवी की मौत हुई थी। उस दिन सौरव अपनी मां के शव को लेकर SNMMCH पहुंचा था। चिकित्सकों ने उसी दिन आशा की मृत्यु की जानकारी सौरव को दे दी थी। इसके बात सौरभ डॉक्टर से भी भिड़ गया। इस दौरान सेंट्रल इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गयी। युवक की हरकत देख चिकित्सकों को इमरजेंसी छोड़कर भागना पड़ा। बाद में होमगार्ड ने युवक को मां के शव के साथ सेंट्रल इमरजेंसी से बाहर निकाला। फिर भी सौरभ मां की शव के साथ रात भर सेंट्रल इमरजेंसी के बाहर बैठा रहा। जब शव से दुर्गंध आने लगी। इसके बाद पुलिस ने ऑटो बुलाकर जबरन सौरव व उसकी मां के शव को घर भेजा।

मामा ने समझाया लेकिन नहीं माना सौरभ
शनिवार की सुबह घर पहुंचने के बाद सौरव ने अपनी मां के शव को कुर्सी पर बैठा दिया। इसके बाद उसने अपने घर के मुख्य गेट का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। स्थानीय लोग उससे मां के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए कहते रहे, लेकिन वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। इसके बाद लोगों ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में रहने वाले सौरव के मामा पूर्व कोयला अधिकारी सतेंद्र नारायण उपाध्याय को दी। शनिवार को दिन के लगभग 12 बजे वह धनबाद पहुंचे। घर के अंदर जाने का प्रयास किया, लेकिन सौरव ने घर का मुख्य दरवाजा नहीं खोला। बाद में मामा सतेंद्र नारायण उपाध्याय ने फोन से सौरव से बात की। मां के शव का अंतिम संस्कार करने को कहा। इसपर सौरव उनकी बात मानने से भी इनकार कर दिया। वह सिर्फ एक बात दोहराता रहा कि उसकी मां जिंदा है और नींद में हैं।

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