डेस्क:
बीजेपी(BJP) के खिलाफ राज्य में सत्तासीन झारखंड(Jharkhand) मुक्ति मोर्चा राष्ट्रपति चुनाव को लेकर धर्मसंकट में पड़ी नज़र आ रही हैं। कल सोमवार को जब राष्ट्रपति उम्मीदवार(President candidate) द्रौपदी मुर्मू(Draupadi murmu) झारखंड पहुंची तो JMM ने खूब अगवानी की। लेकिन, पार्टी राष्ट्रपति चुनाव(Presidential election) में अपना समर्थन किसे देगी इस बात पर अब चुप्पी है।
हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर किया था स्वागत
पार्टी के सामने धर्मसंकट की स्थिति पैदा हो गई है। NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में खड़े होने की वजह से JMM(झामुमो) इस दुविधा में है कि वह राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के साथ जाए या उसके खिलाफ रहे। हालांकि कल द्रौपदी मुर्मू के आने बाद पार्टी का हाव-भाव देखकर लग अनुमान लगाया जा रहा है कि पार्टी मुर्मू के समर्थन में अपना मन बना चुकी है। सीएम हेमंत सोरेन(Heamant soren) का ट्वीट कर कल द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करना भी एक इशारा माना जा रहा है। JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन ने भी कल द्रौपदी मुर्मू से मुलाक़ात की थी।
महागठबंधन का हिस्सा JMM क्यों कर सकता है NDA उम्मीदवार का समर्थन
बीजेपी ने अपना उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को चुन कर JMM को दुविधा में डाल दिया है। इसकी वजह बीजेपी और NDA का राजनीतिक कद नहीं है,बल्कि द्रौपदी मुर्मू की पृष्ठभूमि है । झारखंड में सत्ताधारी पार्टी JMM जिस वोट बैंक को आधार बनाकर बीजेपी के खिलाफ राजनीति कर रहा है। NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के साथ जाने की वजह से उसे लगता है कि उसका वह वोट बैंक इंटेक्ट रह सकता है। अगर पार्टी द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ जाती है तो JMM को भय है कि बीजेपी उनके उस वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। एक आंकड़े के अनुसार झारखंड में कुल आबादी का 26.20% आबादी अनुसूचित जनजाति की है। ऐसे में JMM फ़िलहाल इतना बड़ा रिस्क लेने के मूड में नहीं है।
संताल जनजाति से होने के कारण JMM पर दबाव
द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण के दौरान कई बार यह कहा है कि उनके पूर्वज झारखंड में रहे हैं। उनकी रगों में भी झारखंड का खून है। यह कहीं ना कहीं संताल परगना इलाके से कनेक्टेड है। वहीं दूसरी तरफ झामुमो सुप्रीमो की जन्मस्थली भले ही रामगढ़ जिले का इलाका हो लेकिन उनकी कर्मस्थली दुमका रही है। साथ ही संताल परगना के इलाके ने ही उन्हें राजनीतिक पहचान दी है। संताल कनेक्शन और मजबूत हो इसके लिए झामुमो का द्रौपदी मुर्मू के साथ खड़ा होना जरूरी माना जा रहा है।
पांच लोकसभा सीटों में केवल 1 पर JMM काबिज
फिलहाल झामुमो के गढ़ संथाल परगना में सभी 7 अनुसूचित जनजाति की विधानसभा सीट पर JMM के उम्मीदवार विजय होकर काबिज़ हैं। वहीं पांच एसटी लोकसभा सीट में से केवल एक JMM के कब्जे में है। यही वजह है कि पार्टी की नजर बाकी की रिजर्व सीटों पर है। JMM नहीं चाहता है कि उसकी वोट बैंक में सेंधमारी हो।
विपक्ष में रहे JMM के संघर्ष में मुर्मू का रहा है सहयोग
द्रौपदी मुर्मू के झारखंड में राज्यपाल में रहते हुए तत्कालीन बीजेपी सरकार के सीएनटी(CNT) और एसपीटी(SPT) एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को वापस कर दिया था। तब विपक्ष में रही झामुमो ने इस संशोधन के खिलाफ आवाज उठाई थी। जिसे संज्ञान में लेते हुए तत्कालीन गवर्नर रहीं द्रौपदी मुर्मू ने ट्राइबल एडवाइजरी कौंसिल को लेकर तत्कालीन सरकार को कड़े दिशा निर्देश दिए थे। ऐसे में उनके काम को ध्यान में रखते हुए भी JMM द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दे सकती है।