द फॉलोअप डेस्कः
रांची में हुए फ़र्ज़ी हत्याकांड के मामले में कातिल ठहराए गए पीड़ित युवक को हाई कोर्ट ने मुआवज़ा देने का आदेश दिया है। पीड़ित अजित कुमार के तरफ से दायर याचिका पर बुधवार को जस्टिस एस के द्विवेदी ने ये फैसला सुनाया है। गौरतलब है कि 15 फरवरी 2014 में चुटिया की रहने वाली प्रीति लापता हो गयी थी। अगले दिन बुंडू थानाक्षेत्र के माझी टोली रोड के समीप एक अधजली लाश मिली। जिसे पुलिस ने भारी चूक करते हुए डीएनए मैच किये बिना प्रीति का शव मान लिया था। इसमें अजित समेत तीन लड़कों को दोषी माना गया था। अजित के अधिवक्ता आकाशदीप का कहना है कि इससे प्रार्थी का करियर और भविष्य बर्बाद हो गया है। वहीं सरकार के तरफ से उसके पुनर्वास के लिए अबतक कोई कदम नहीं उठाया गया है। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गृह विभाग को 5 लाख का हर्जाना देने का आदेश दिया है।
सीआईडी जांच के बाद छोड़ा गया
बता दें कि ज़िंदा प्रीति के हत्या के मामले में रांची के धुर्वा निवासी अजित कुमार अमरजीत कुमार एवं अभिमन्यु उर्फ़ मोनू को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। तीनों लड़कों के खिलाफ अपहरण , सामूहिक दुष्कर्म और हत्या कर जलाने का मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसपर वो लगातार इस अपराध से इंकार करते रहे थे। लेकिन, पुलिस ने लापरवाही दिखाते हुए तीनों को दोषी साबित भी कर दिया। अब इस घटना के सीआईडी जाँच के बाद केस के अनुसंधानकर्ता सुरेंद्र कुमार, तत्कालीन चुटिया के थान प्रभारी कृष्णा मुरारी और बुंडू के तत्कालीन थाना प्रभारी संजय कुमार को निलंबित कर दिया गया है।