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आदिवासियों के अखड़ा और जतरा की जमीन वापस करे HEC : डॉ रामेश्वर उरांव

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रांची 

झारखंड सरकार के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने एचईसी प्रबंधन से आदिवासियों के अखड़ा और जतरा की जमीन वापस उपलब्ध कराने के लिए कहा। उरांव ने आगे कहा कि झारखंडी संस्कृति की विरासत है सोहराय जतरा, इसे बचाए रखने की जरूरत है। सोहराय जतरा सभी संप्रदाय को आपस में जोड़ने का भी सशक्त माध्यम है। ये बातें मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सरना समिति की ओर से आयोजित सोहराय जतरा में कही। ये आयोजन रांची के चांदनी चौक में हो रहा है। सोहराय जतरा का उद्घाटन डॉ रामेश्वर उरांव और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दुबे ने संयुक्त रूप से किया। जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा। जतरा में कई गांव से खोड़हा टीम के सदस्य ढोल नगाड़े के साथ नाचते गाते शामिल हुए। जतारा समिति के द्वारा सभी खोड़हा टीमों को सम्मानित भी किया गया। 

रांची में अखड़ा के लिए जमीन दिलाई 

डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि हमारी संस्कृति बनी रहे। हम गांव-गांव में अखड़ा बनायेंगे। मांदर, ढ़ोल, नगड़ा, अखड़ा, जतरा टांड़ भी होगा। झारखंड में जहां भी अखड़ा, हम उसकी रक्षा करेंगे। उदाहरण के लिए राजधानी रांची में तत्कालीन मंत्री स्व रामविलास पासवान से बात कर अखड़ा के लिए जमीन उपलब्ध करायी गयी। कहा कि एचईसी प्रबंधन को चाहिए कि आदिवासियों के अखड़ा एवं जतरा टांड़ जमीन, जहां-जहां भी है, उसे वापस किया जाये। 

सोहराय जतरा का संबंध सृष्टि की उत्पत्ति से 

जतरा मेला में कांग्रेस नेता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि गोवर्धन पूजा के साथ ही आदिवासियों का सोहराय पर्व प्रारंभ हो जाता है। सोहराय जतरा का संबंध सृष्टि की उत्पत्ति से जुड़ा हुआ है। यह सिर्फ त्योहार ही नहीं जीवन का दर्शन भी है। सोहराय हमें बताता है कि केवल हमें ही जीने का अधिकार नहीं है। कहा कि जनजाति संस्कृति और चिंतन पेड़ पौधे से लेकर जीव जंतु तक की चिंता करता है। सोहराय जतरा के आयोजन में समिति के अध्यक्ष सतीश गाड़ी, उपाध्यक्ष जगन्नाथ, सचिव जैकब तिर्की, कोषाध्यक्ष सुरेश उरांव, मनीष पाहन, महेंद्र उरांव, विजय किस्पोट्टा, रोहित तिर्की, लच्छू उरांव, सिकंदर लकड़ा, सुमित तिर्की का महत्वपूर्ण योगदान रहा।