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देवघर में शिव बारात रूट बदलाव और धारा 144 को लेकर दाखिल याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई

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द फॉलोअप डेस्कः 
महाशिवरात्रि के दिन देवघर में जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 लागू करने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की है। जिस पर आज सुनवाई होगी। यह सुनवाई आज बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि महाशिवरात्री पर निकलने वाले बारात को लेकर पूरे राज्यवासियों में उत्साह बना रहता है, ऐसे में रूट में बदलाव और धारा 144 लागू होने पर लोगों के मन में संशय बना हुआ है। इस मामले पर शीघ्र सुनवाई के लिए आग्रह किया गया है। क्योंकि शिवरात्री कल ही है। मामले पर जल्द सुनवाई हो इसके लिए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में विशेष मेंशन किया गया है। खंडपीठ ने आग्रह को स्वीकार कर लिया है। मामले की सुनवाई की तिथि आज तय की है।


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तैयारी पूरी कर ली गई है
बता दें कि महाशिवरात्रि को लेकर देवघर में तैयारियां पूरी कर ली गई है। देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने कहा है कि 144 को लेकर लोग यह सोचते हैं कि कर्फ्यू लागू हो गया है जबकि ऐसा नहीं है। शिव बारात को लेकर जो 2 वर्ष पहले रूट तय था उसी रूट से शिव बारात निकलेगी। बारात में कहीं से आकर कोई शामिल हो इस पर कोई रोक नहीं है। इसमें लोगों को किसी तरह का कोई संदेह शंका नहीं होनी चाहिए। 

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आयोजन समिति से नहीं ली गई है सहमति

बता दें कि याचिका में निशिकांत दुबे ने कहा  है कि यह शिव बारात निकालने की परंपरा देवघर में सालों से रही है इसके बाद भी देवघर एसडीओ ने उसी दिन धारा 144 लागू कर दी है। इसके पीछे कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार जब तक यह साफ नहीं हो जाए कि उस क्षेत्र में शांति भंग होने की संभावना, तब तक 144 नहीं लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर यह आदेश लागू किया है। इसलिए इसे निरस्त किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि  जिला प्रशासन ने बिना आयोजन समिति के सहमति से ही रूट तय कर दिया है। निशिकांत दूबे ने बताया है कि जिस मार्ग को जिला प्रशासन तय किय है उसका सड़क काफी संकरा है। इससे शिव बारात निकालने में परेशानी होगी। जब ऐसे सांस्कृतिक जुलूस निकाले जाते हैं तो दूसरे मार्ग में बदलाव किया जाता है, जबकि जिला प्रशासन ने शिव बारात के मार्ग में ही बदलाव कर दिया है। जानबूझकर जिला प्रशासन ने ऐसा निर्णय लिया है। आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सांसद ने अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है।