द फॉलोअप डेस्क
रांची में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है। यह मामला साढ़े 5 साल की एक बच्ची का है, जिसे पिछले एक हफ्ते से रांची के बालपन चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती किया गया है। रांची के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात ने बताया कि स्टूल सैंपल कलेक्ट किया गया है, जिसे जांच के लिए पुणे भेजा जाएगा। अस्पताल के संचालक और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश के अनुसार, बच्ची को 7 दिन पहले GBS के लक्षणों के साथ भर्ती कराया गया था।
वहीं सीएसएफ टेस्ट और एनसीवी टेस्ट में बच्ची पॉजिटिव पाई गई। बच्ची को आईवीआईजी (IVIG) का एक कोर्स दिया जा चुका है। जल्द ही दूसरा कोर्स दिया जाएगा। अगर सुधार नहीं हुआ तो प्लाज्मा फेरेसिस ट्रीटमेंट अपनाया जाएगा। डॉ. राजेश ने बताया कि जीबीएस नसों को कमजोर कर देता है, जिससे पहले पैरों में कमजोरी आती है और धीरे-धीरे पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है।
मिली जानकारी के अनुसार एक दिन में ही उसके सांस लेने की मांसपेशियां प्रभावित हो गईं, जिससे स्थिति गंभीर हो गई। इलाज की प्रक्रिया धीमी होती है, इसलिए पूरी सावधानी बरती जा रही है। बताया जा रहा है कि GBS के लक्षण पोलियो जैसे होते हैं। शरीर की नसें नीचे से ऊपर की ओर कमजोर होती जाती हैं। लेट्रिन-पेशाब पर नियंत्रण नहीं रहता। सांस लेने और खाना निगलने में परेशानी होने लगती है। रांची में अभी तक बच्चों के लिए प्लाज्मा फेरेसिस ट्रीटमेंट नहीं हुआ है, लेकिन डॉक्टर इस पर काम कर रहे हैं। कुछ बड़े सेंटरों से संपर्क किया जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर इलाज तुरंत किया जा सके।