रांची:
देश के प्रथम प्रधानमंत्री राजेंद्र प्रसाद (Rajendre Prasad) का आज 138वीं जयंती है। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के जीरादेई गांव में हुआ था। वे एक सफल नेता और प्रशिक्षक वकील थे। साल 1950 में उन्हें स्वतंत्र भारत का पहला राष्ट्रपति चुना गया। देशभर उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant soren) ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने दी श्रद्धांजलि
राज्यपाल रमेश बैस ने देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर राजभवन में उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। उनके प्रति अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की। इसके बाद राज्यपाल ने राजधानी रांची के राजेंद्र चौक पर जाकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया है। राज्यपाल के ट्वीटर हैंडल से एक ट्वीट कर लिखा गया कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती के अवसर पर राजेंद्र चौक, डोरंडा स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।
माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने आज देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती के अवसर पर राजेंद्र चौक, डोरंडा स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। pic.twitter.com/mswfVIcmGe
— Governor of Jharkhand (@jhar_governor) December 3, 2022
मुख्यमंत्री ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजेंद्र चौक पर जाकर देशरत्न को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। सीएम ने ट्वीटर पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती पर शत-शत नमन। मौके पर सीएम ने कहा कि आज देश के दो महान व्यक्ति को स्मरण करने का दिन है। देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती एवं झारखंड की माटी के वीर सपूत, महान योद्धा परमवीर चक्र विजेता शहीद अल्बर्ट एक्का के शहादत दिवस पर मैं उन्हें शत-शत नमन करता हूं।
देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती पर शत-शत नमन। pic.twitter.com/DPp0y4VRuV
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) December 3, 2022
इमानदार निष्ठावान एवं उच्च विचारों वाले महान नेता
राजेंद्र प्रसाद स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे। राष्ट्र के विकास में उनका बहुत गहरा योगदान रहा है। राजेंद्र प्रसाद एक इमानदार निष्ठावान एवं उच्च विचारों वाले महान नेता थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया था। वह जवाहरलाल नेहरू,सरदार वल्लभभाई पटेल,लाल बहादुर शास्त्री के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद संविधान लागू होने पर उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति का पद संभाला था। राष्ट्रपति के तौर पर उन्होंने कभी भी अपने संवैधानिक अधिकारों में प्रधानमंत्री या कांग्रेस को दखलअंदाजी का मौका नहीं दिया। हमेशा स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहें।