द फॉलोअप डेस्क
सीसीएल की पिपरवार परियोजना में गलत वंशावली, फर्जी प्रमाण पत्रों एवं भूमि नक्शा में छेड़छाड़ कर अवैध तरीके से नियोजन और मुआबजा लेने व दिलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। चतरा के उपायुक्त रमेश घोलप ने इसके लिए छह सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। जांच टीम का नेतृत्व अनुमंडल पदाधिकारी सिमरिया सन्नी राज करेंगे। उपायुक्त ने कहा है कि जांच टीम की फाइंडिंग्स के आधार पर इस फर्जीवाड़े में संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। संयुक्त जांच प्रतिवेदन में अंचल अधिकारी एवं सीसीएल कर्मियों एवं पदाधिकारियों के बीच सांठगांठ की शिकायत मिली है। इस फर्जीवाड़े में फर्जी लगान रसीद, हुकुमनामा के आधार पर जमाबंदी निर्गत कर उसके माध्यम से सीसीएल में बाहरी व्यक्तियों को नौकरी दे दी गयी है। जांच में यह भी सामने आया है कि गैरमजरूआ खास की जमीन का नेचर बदल कर, बनावटी लगान रसीद दिखा कर एवं गलत जमाबंदी के आधार पर निर्गत वंशावली के माध्यम से नियोजन और मुआवजा का लाभ दिया गया है। प्रतिवेदन में संगठित तरीके से फर्जीवाड़े को अंजाम दिए जाने की बात भी कही गयी है। धोखाधड़ी के इस मामले में अब तक टंडवा थाने में 22 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है।
एससी व गरीब तबके के लोगों की जमीन का फर्जी कागजात तैयार किया गया
अब तक की जांच में पाया गया है कि इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं गरीब तबके के लोगों की भूमि का फर्जी तरीके से कागजात तैयार किया गया।
तथ्यों से एवं संलग्न जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट हुआ है कि सीसीएल द्वारा विभिन्न परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करते समय विस्थापित होने वाले व्यक्त्तियों एवं परिवारों को मुआवजा एवं नौकरी का जो प्रावधान है, उसको एक संगठित गिरोह ने फर्जीवाड़े से बदल दिया। गलत लोगों को नौकरी और मुआवजा दिलाने का काम किया।
तीन सदस्यीय टीम का गठन
इस मामले में रमेश घोलप द्वारा अपर समाहर्ता अरविंद कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। दोषी कर्मियों/पदाधिकारियों को चिन्हित करने के लिए अंचल कार्यालय से समन्वय स्थापित करते हुए कमेटी को पुनः सत्यापन का भी निर्देश दिया गया है। वंचित योग्य लाभुकों को नियमानुसार नौकरी व मुआवजा का लाभ दिलाने का निर्देश भी दिया गया है।