रांची:
माकपा की वरिष्ठ नेता वृंदा करात ने मोदी सरकार पर संघीय ढांचे की अवमानना का आरोप लगाया है। पार्टी की स्टेट ऑफिस रांची में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को उन्होंने कहा देश की मौजूदा केंद्र सरकार देश के फेडरल ढांचे को लगातार कमजोर किए जाने की साजिश कर रही है। यह भारत के संविधान की केवल अवमानना ही नहीं है बल्कि स्वतंत्रता आन्दोलन से प्राप्त हमारे संसदीय लोकतंत्र को समाप्त करने के एजेंडे को लागू करने की कवायद भी है। झारखंड में राज्य विधानसभा से पारित माॅब लिंचिंग विरोधी कानून को राजभवन द्वारा लटकाए रखना इसी कवायद की कड़ी है। मौके पर माकपा के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव के अलावा सचिवमंडल सदस्य और रांची जिला सचिव सुखनाथ लोहरा भी मौजूद थे।
पार्टी की पोलिट ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि आज देश के लिए सबसे बड़ा खतरा कार्पोरेट और सांप्रदायिक गठजोड़ का है। यह गठजोड़ एक ओर हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता और राष्ट्रीय संपदा की नीलामी कर रहा है और दुसरी ओर छद्म हिंदुत्व के आधार पर समूचे देश मे सांप्रदायिक धुव्रीकरण की मुहिम चला रहा है। लेकिन देश में आरएसएस-भाजपा के इस विनाशकारी एजेंडे का लगातार विरोध हो रहा है। देश के किसान, मजदूर, छात्र - युवा और प्रगतिशील विचार वाले लोग सडकों पर उतर कर शासक वर्ग के इस विनाशकारी एजेंडे के खिलाफ प्रतिरोध की मजबूत दीवार खड़ी कर रहे हैं। माकपा नेता ने कहा कि देश के मजदूर वर्ग द्वारा आगामी 28 - 29 मार्च को दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर दो दिन का अखिल भारतीय गांव बंद इस प्रतिरोध की अगली कड़ी है।
झारखंड में भाषा और स्थानीय और नियोजन नीति के सबंध मे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाकर स्थानीयता की परिभाषा तय कर स्थानीय युवाओं को कैसे नियोजन मिले। इसका एक सर्वमान्य हल निकालने की ठोस पहल करनी चाहिए। लेकिन इस मुद्दे पर झारखंड के मेहनतकशों के बीच विभाजन की राजनीति को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। वृंदा करात आज पार्टी की राज्य कमिटी बैठक मे हिस्सा लेने रांची पहुंची हैं। जिसमें 6 से 10 अप्रैल तक केरल में होने जा रहे पार्टी के 23 वें अखिल भारतीय सम्मेलन (पार्टी कांग्रेस) के लिए जारी राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा की गई।