logo

अंतिम व्यक्ति तक विकास का दावा झूठा, 100 साल से विस्थापित हो रहे आदिवासी; हेमंत सोरेन

a724.jpeg

द फॉलोअप डेस्क:

खूंटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदिवासी समाज की दयनीय दशा का मुद्दा उठाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दावा किया जाता है कि विकास देश में अंतिम पायदान तक बैठे व्यक्ति तक पहुंच रहा है लेकिन हकीकत में यह केवल अखबारों में दिखता है, धरातल पर नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। मैं इसी समाज से आता हूं और मुझे आदिवासी होने का गर्व है। हालांकि, आदिवासियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए जाने हैं और मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री का उसमें पर्याप्त सहयोग मिलेगा। मुख्यमंत्री ने विस्थापन का मुद्दा भी उठाया। 

आदिवासी समाज के समक्ष कई चुनौतियां हैं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड ने अलग-अलग तरीके से देश के विकास में अपना अहम योगदान दिया है। सीएम सोरेन ने कहा कि झारखंड न केवल खनिज बल्कि खेल सहित अन्य क्षेत्रों में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन कई चुनौतियां भी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा झारखंड में आदिवासी समाज जंगलों में निवास करता है। खनिजों का खनन करने के लिए जंगल काटे जाते हैं और आदिवासियों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते 100 वर्षो से आदिवासी समाज विस्थापित होता आया है। प्रधानमंत्री से गुजारिश है कि वह ऐसी कार्ययोजना तैयार करें जिससे आदिवासी समाज जल, जंगल और जमीन के साथ समावेशी विकास की अवधारणा में मुख्यधारा से जुड़ सके। तभी अंतिम व्यक्ति तक विकास का लक्ष्य सधेगा। 

समाज में भेदभाव नहीं मिट पाया है
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम चांद पर पहुंच गए लेकिन समाज में आदिवासी, आदिम जनजाति, पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित और वंचित का भेद नहीं मिट पाया है। हमारी सरकार ने सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत समाज में अंतिम पायदान पर खड़े नागरिक तक पहुंचने का प्रयास किया है। सीएम हेमंत ने प्रधानमंत्री से कहा कि आप पूरे देश के पीएम हैं। इस कार्यक्रम के जरिए आपने पूरे देश को जोड़ा है। यदि घोषणाएं धरातल पर भी उतरती हैं तो यह आदिवासियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।  उलिहातू में आज पहली बार आप आए हैं। हमें लगा था कि कोई मुख्यधारा से जोड़ेगा। आपने प्रयास किया। हम आभारी हैं।