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जमीन घोटाला केस में हेमंत सोरेन के खिलाफ 5500 पेज का चार्जशीट दाखिल, ये भी बनाये गए आरोपी

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द फॉलोअप डेस्क, रांची:

झारखंड के चर्चित जमीन घोटाला केस में ईडी ने चार्जशीट दाखिल कर दी। एजेंसी ने केस में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और बड़गाईं अंचल के तात्कालीन उपराजस्व निरीक्षक, भानुप्रताप प्रसाद सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ 5500 पेज का आरोप पत्र दायर किया है। शनिवार को दोपहर तकरीबन 4:30 बजे ईडी के अधिकारी बक्से में दस्तावेज भरकर कोर्ट पहुंचे। जमीन घोटाला केस में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तार किया गया था। 2 फरवरी को उनको कोर्ट में पेश किया गया जहां से उनको 1 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। बाद में कोर्ट ने ईडी को 5 दिन की रिमांड सौंपी। 

रांची जमीन घोटाला केस में ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिनोद सिंह, राजस्व अधिकारी भानुप्रताप प्रसाद, उल्लसित कच्छप और राजकुमार पाहन को आरोपी बनाया है।

बड़गाईं अंचल में जमीन की खरीद-फरोख्त का केस
बड़गाईं अंचल में 8.5 एकड़ जमीन की कथित तौर पर अवैध दस्तावेजों के जरिए खरीद-बिक्री के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एजेंसी ने अगस्त 2023 से लेकर जनवरी 2024 के बीच 10 बार समन भेजा गया। हेमंत सोरेन 8 बार भिन्न-भिन्न कारणों का हवाला देकर, पूछताछ के लिए नहीं आये। कभी उन्होंने व्यस्तता का हवाला दिया तो कभी कोर्ट में मामला लंबित होने की बात कही। पहले और दूसरे समन पर तो उन्होंने इसे राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित बताते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। समन के खिलाफ हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी गये लेकिन पीएमएलए कानून की धाराओं का हवाला देते हुए कोर्ट ने राहत देने से इनकार किया। हेमंत सोरेन 8वें समन पर 20 जनवरी को और फिर 10वें समन पर 31 जनवरी को पूछताछ के लिए हाजिर हुये। 

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से पहले ड्रामा
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पहले काफी ड्रामा हुआ। दरअसल, हेमंत सोरेन 28 जनवरी को दिल्ली गये थे। 29 जनवरी को सुबह ही ईडी ने उनके दिल्ली स्थित आवास और झारखंड भवन में छापा मारा। तभी, हेमंत सोरेन के ट्रेसलेस होने की खबरें सामने आने लगी। 30 जनवरी को दोपहर में हेमंत सोरेन, सीएम आवास में नजर आए। उन्होंने उसी दिन, सत्ताधारी दल के विधायकों के साथ 2 मीटिंग्स की। इसमें गिरफ्तारी की स्थिति में उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा हुई। पहले कल्पना सोरेन को सीएम बनाने की बात हुई लेकिन सोरेन परिवार की बड़ी बहू, सीता सोरेन के विरोध की वजह से चंपाई सोरेन को महागठबंधन का नेता चुन लिया गया। 31 जनवरी को हिरासत में लिए जाने से पहले, हेमंत सोरेन ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया। 
 

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