द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सरकार के जातीय जनगणना करवाने के फैसले पर नेताओं के बयान आने शूरू हो गए हैं। गोड्डा विधायक प्रदीप यादव, झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य और ओबीसी मोर्चा के बाद अब मंत्री, झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की की भी प्रतिक्रिया सामने आयी है। उन्होंने कहा कि झारखंड में जातीय जनगणना करवाने का सरकार का निर्णय सराहनीय है और इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है।
जातीय जनगणना के फायदे बताये
उन्होंने कहा कि कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा कार्यान्वित की जानेवाली इस जनगणना से प्राप्त होनेवाले निष्कर्ष के आधार पर नीति-निर्धारण में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। इससे सामाजिक न्याय एवं अधिकार से वंचित झारखंड की जाति विशेष को विशिष्ट सुविधा उपलब्ध होगी। इससे उनका शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास संभव हो सकेगा। मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को भेजे गये एक पत्र में बंधु तिर्की ने सरकार के इस बहुप्रतीक्षित निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इसके पश्चात न केवल वंचित एवं उपेक्षित जातियों के लोगों का शैक्षणिक, आर्थिक एवं सामाजिक विकास संभव हो सकेगा, बल्कि हमें झारखंड में एक वैसे समाज के निर्माण में सहायता मिलेगी जहाँ सभी के मध्य परस्पर सामंजस्य होगा। सभी एक-दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ें एवं झारखंड के समग्र विकास में अपना योगदान दें।
देरी से लिया निर्णय
आगे उन्होंने कहा कि इस निर्णय के साथ ही झारखंड में जनजातीय भाषा एवं साहित्य अकादमी की स्थापना का निर्णय भी बहुप्रतीक्षित है। इसका इंतजार अलग प्रदेश के रूप में झारखंड की स्थापना के बाद से ही था। लेकिन अफसोस की बात है कि 23 साल के बाद सरकार ने एक वैसे निर्णय को जमीन पर कार्यान्वित करने का फैसला किया है जिससे न केवल झारखंड की भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि झारखंड को एक पहचान मिलेगी। इसके लिये झारखंड का गठन किया गया था। उन्होंने भरोसा जताया कि आगामी सप्ताहों में सरकार वैसे अनेक निर्णय लेगी जिसकी प्रतीक्षा झारखंड को लंबे समय से है। जिसकी जरूरत भी इस प्रदेश को बहुत अधिक है।