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बजट सत्र को नहीं मिली है राज्यपाल की मंजूरी, जानें क्यों

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द फॉलोअप डेस्क
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र 23 फरवरी से प्रस्तावित है। इस बजट सत्र की मंजूरी अबतक राज्यपाल की ओर से नहीं मिली है। दरअसल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन इन दिनों राज्य से बाहर हैं। कहा जा रहा है कि 13-14 फरवरी को वह रांची लौटे सकते हैं। राज्यपाल के लौटने के बाद ही बजट सत्र बुलाए जाने संबंधी अधिसूचना जारी होगी। तब बजट सत्र आहूत होगा। गौरतलब है कि झारखंड की राजनीति में इन दिनों काफी उथल-पुथल देखने को मिला है। जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद विधायक दल के नेता चुने गए चंपाई सोरेन ने 2 फरवरी को मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लिया। 16 फरवरी को चंपाई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। 


इस कारण बजट सत्र में विधायक नहीं पूछ सकेंगे तारांकित प्रश्न 
इस बजट सत्र में विधायक तारांकित प्रश्न नहीं पूछ सकेंगे। ऐसी स्थिति  इसलिए बन रही है क्योंकि बजट सत्र में कई तरह के प्रश्न लिए जाते हैं। तारांकित, अल्पसूचित व अन्य। तारांकित प्रश्न पूछने के लिए झारखंड विधानसभा की कार्यपालिका नियमावली में कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं। विधानसभा सचिवालय को विधायकों से सत्र की पहली बैठक से कम से कम 14 दिन पूर्व तारांकित प्रश्न प्राप्त हो जाना चाहिए। इसलिए राज्यपाल द्वारा सत्र आहत करने संबंधी अधिसूचना कम से कम 15 दिन पूर्व जारी हो जानी चाहिए। इस शर्त के अनुसार अगर बजट सत्र 23 फरवरी से प्रस्तावित है, तो इसकी अधिसूचना नौ फरवरी को जारी हो जानी चाहिए थी। जो इस बार नहीं हो सकी है। 


निजी विवि विधेयक भी आएंगे 
 बजट सत्र में दो निजी विश्वविद्यालयों के गठन संबंधी विधेयकों के आने की पूरी संभावना है। इसमें इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और जेसी बोस विश्वविद्यालय शामिल है। जेसी बोस विश्वविद्यालय का गठन गिरिडीह में किया जाना है। इधर, एक दिलचस्प स्थिति यह है कि पिछले दिनों राज्यपाल ने निजी विश्वविद्यालय के गठन संबंधी एक प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने आठ फरवरी को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया था कि वे निजी विश्वविद्यालयों के गठन के पक्षधर नहीं हैं।

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